इसलिए युवाओं में बढ़ रहा ब्रेन स्‍ट्रोक का खतरा,

जब भी ब्रेन स्‍ट्रोक या ब्रेन हैमरेज की बात आती है तो हमारे दिमाग में किसी बुजुर्ग व्‍यक्ति का चेहरा घूमता है. लेकिन दुनिया भर में लाखों की संख्‍या में हर साल युवावर्ग इस बीमारी की चपेट में आ रहा है और अपनी जांन गंवा रहा है. अकेले अमेरिका में हर साल लगभग 70 हजार युवा जिनकी उम्र 40 से कम है, इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आ रहे हैं.

क्‍या है ब्रेन स्‍ट्रोक
जब ब्रेन की कोई नस अचानक से ब्लॉक हो जाती है या फट जाती है तो इसे ब्रेन स्ट्रोक कहा जाता है. ऐसा होने पर ब्रेन तक ब्‍लड का सप्लाई रूक जाता है जिसका सीधा असर ब्रेन फंक्शन पर पड़ता है. यह एक बहुत ही खतरनाक स्थिति होती है. वैसे तो ब्रेन स्‍ट्रोक कभी भी कहीं भी हो सकता है लेकिन इसके ज्यादातर मामले अर्ली मॉर्निंग देखने को मिलते हैं.

ब्रेन स्ट्रोक और ब्रेन हैमरेज में क्या है अंतर
ब्रेन हैमरेज दरअसल ब्रेन स्ट्रोक का ही एक प्रकार होता है. जब दिमाग तक खून पहुंचाने वाली नसें खून की सप्लाई कम कर दें तो इसे ट्रासिएट एस्केमिक स्ट्रोक कहा जाता है. दिमाग तक खून सप्‍लाई करने वाली ये नसें जब ब्लॉक हो जाती हैं तो इसे एस्केमिक स्ट्रोक कहा जाता है जबकि अगर ये नसें फट जातीं हैं तो इसे ब्रेन हैमरेज कहा जाता है.

युवावस्‍था में कौन हो सकता है ब्रेन स्‍ट्रोक का शिकार

-जिन लोगों को ब्‍लड क्‍लॉट होने की समस्‍या रहती है उन्‍हें इस्‍केमिक स्‍ट्रोक होने की संभावना अधिक रहती है.

-जिन लोगों को जन्‍म के समय हार्ट चैम्‍बर के पास होल होने की समस्‍या रही हो और शुरुआती कई महीनों तक उसे बंद नहीं किया जा सका हो तो ऐसे लोगों को बाद में ब्रेन स्‍ट्रोक होने की संभावना रहती है.

-जब रक्‍त वाहिनियों की दीवारें कमजोर हों और उनमें बुलबुले बनते हों तो यह हेमोरेजिक स्‍ट्रोक होता है. कुछ लोगों को जन्‍म से ही रक्‍त वाहिनियों की दीवारों पर यह समस्‍या होती है जो बाद में ब्रेन स्‍ट्रोक का कारण बन सकती है.

-पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज जेनेटिक डिजीज है जो कई युवाओं में ब्रेन स्‍ट्रोक की वजह होती है.

-माइग्रेन एक न्‍यूरोलॉजिकल डिस्‍ऑर्डर है जिसमें सिर में तेज दर्द की शिकायत होती है. कई बार ब्रेन स्‍ट्रोक का कारण बन सकता है. जिन महिलाओं को माइग्रेन की शिकायत हो उन्‍हें बर्थ कंट्रोल पिल्‍स खाने से पहले एक बार डॉक्‍टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.