गोला गोकर्णनाथ : पौराणिक शिव मंदिर मे हजारो शिव भक्तो ने पूजन कर मौनी अमावस्या पर पुण्य कमाया…..

आज मौनी अमावस्या के दिन छोटी काशी गोला शिव मंदिर मे हजारो की संख्या मे दूर दराज से आए शिव भक्तों ने पुष्प, बेलपत्र, दूध, प्रसाद आदि चढाकर शिव जी को प्रसन्न कर मनौती मांगी…..
गोला कॉरिडोर निर्माण की वजह से गोला तीर्थ में जल न होने की वजह से शिव भक्त स्नान से वंचित रहे….
गोला शिव मंदिर के पुजारी ने बताया गोला शिव मंदिर का वर्णन शिव पुराण, पद्ध पुराण, वामन पुराण और स्कंद पुराण मे मिलता है….
गोला शिव मंदिर का इतिहास पौराणिक रहा है, इसके अलावा एक और मान्यता है कि भगवान शिव लंका पति रावण की तपस्या से प्रसन्न हुए थे तब उन्होंने वरदान मांगने को कहा जिस पर रावण ने अपने साथ ले जाने की इच्छा जाहिर की थी जब भगवान शिव को अपने साथ लंका ले जा रहा था गोला गोकरण नाथ के पास पहुंचते ही उसे लघु शंका महसूस हुई अब रावण शिव जी को भूमि पर तो रख नहीं सकता था क्योंकि शिवजी की शर्त थी यदि रावण उन्हें किसी स्थान पर रख देगा तो वह वहीं पर अपना स्थान जमा लेंगे..
इसलिए नाम पड़ गया गोला गोकर्णनाथ….
रावण शिवलिंग रूप में भगवान शिव को एक चरवाहे को देखकर इस हिदायत के साथ देकर लघु शंका गया कि वह शिवलिंग भूमि पर नहीं रखेगा लेकिन जब काफी देर तक रावण के वापस न आने पर चरवाहे ने भगवान शिव को भूमि पर रख दिया तब रावण शिवलिंग को नहीं उठा सका तो गुस्से में आने पर अंगूठे से दबाने के कारण शिवलिंग गाय के कान के आकार का हो गया इसके चलते यह शिवलिंग गोकर्णनाथ के नाम से प्रसिद्ध हो गया…

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