पूर्व IPS असीम अरुण जीत के बाद अचानक पहुंचे सपा कैंडिडेट के घर दी अधभुद मिशाल जिसे लोग देखते रह गए

यूपी विधानसभा चुनाव के रिजल्‍ट आने के बाद सियासी मूड कुछ अलग दिख रहा है. वहीं, पुलिस कमिश्नर का पद छोड़कर हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर विधायक बनने वाले असीम अरुण एक बात को लेकर इस वक्‍त चर्चा में हैं. दरअसल उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के अनिल कुमार दोहरे को 6000 से ज्यादा वोटों से हराया है. कन्नौज सदर सीट पर दोहरे तीन बार के विधायक थे. चुनाव खत्म होने के बाद जब परिणाम आया तो यहां बड़ा उलटफेर था. अनुभवी अनिल दोहरे चुनाव हार चुके थे और ताजा-ताजा राजनीति में शामिल हुए असीम अरुण विधायक चुने गए.

कन्नौज सदर सीट पर भाजपा की जीत के बाद जिस वक्त असीम अरुण को बधाइयों का तांता लगा था. यही नहीं, लोग उन तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे, उसी दौरान नवनिर्वाचित विधायक ने एक ऐसा कदम उठाया जिसकी सब तरफ तारीफ हो रही है. दरअसल असीम अरुण अपने प्रतिद्वंद्वी सपा प्रत्याशी अनिल दोहरे से मिलने उनके घर पहुंच गए.

ट्विटर पर शेयर की ये जानकारी
यही नहीं, भाजपा कैंडिडेट असीम अरुण ने अपने प्रतिद्वंद्वी सपा प्रत्याशी से मुलाकात की जानकारी खुद अपने ट्विटर हैंडल पर साझा की. उन्‍होंने लिखा ‘आदरणीय बड़े भाई अनिल दोहरे जी से उनके घर पर आशीर्वाद प्राप्त किया. अनिल भाई के विरुद्ध चुनाव में प्रतिभाग करना बहुत कठिन कार्य था. आपका पंद्रह वर्षों का विस्तृत अनुभव रहा है एवं साथ मिलकर विकास कार्य करने पर सहमति बनी

जीत के बाद सफाई में जुटे
इसके अलावा कन्नौज की सदर सुरक्षित सीट से भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक और पूर्व पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने जीत हासिल करने के बाद जो किया उसे हर कोई हैरान रहग गया. मतगणना खत्म होने के बाद जैसे ही निर्वाचन अधिकारी ने असीम अरुण की जीत का ऐलान किया. वह बिना ज्यादा वक्त गंवाए मतगणना स्थल पर फैली गंदगी को साफ करने में जुट गए. इसके बाद हर कोई उनको देखकर हैरान था.

मध्य प्रदेश से है गहरा नाता
असीम अरुण मध्य प्रदेश में स्कूल शिक्षा प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी के भाई हैं. असीम के पिता श्रीराम अरुण यूपी के डीजीपी रह चुके हैं. असीम अरुण 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं. पिछले साल मार्च में उन्होंने कानपुर पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी संभाली ली थी. इससे पहले असीम अरुण एटीएस चीफ के पद पर नियुक्त थे. उनका जन्म तीन अक्टूबर 1970 को बदायूं में हुआ. वहीं, वह वीआरएस लेकर यूपी की राजनीति में उतरे हैं. हालांकि चुनाव के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उन पर जमकर हमला किया था.