ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज शॉन टेट को हाल में अफगानिस्तान क्रिकेट टीम का नया बॉलिंग कोच बनाया गया है। सबसे तेज गति से गेंद फेंकने को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले टेट ने हाल के समय में मौजूदा तेज गेंदबाजों द्वारा 150 किमी या उससे ज्यादा की गति से गेंदबाजी करने में हो रही परेशानी के बारे में जिक्र किया है। टेट ने बताया कि क्यों मौजूदा समय के तेज गेंदबाज 150 किमी प्रति घंटे की स्पीड से गेंदों को नहीं फेंक पा रहे हैं। पूर्व ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज ने डिटेल्स में समझाया कि आज के तेज गेंदबाज 150 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से गेंदबाजी करने के लिए क्यों संघर्ष करते हैं। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों के पास उनके ‘रोबोट जैसे’ ट्रेनिंग प्रोग्राम इनपुट नहीं है और टीम फिजियो द्वारा क्या करना है, इस पर उन्हें कुछ पता ही नहीं है।
ऑस्ट्रेलिया के लिए 59 इंटरनेशनल मैच खेलने वाले टेट अपने समय में आमतौर पर 150 और यहां तक कि 160 किमी प्रति घंटे की गति से गेंदबाजी करते थे। उन्होंने 2010 में इंग्लैंड के खिलाफ 161.1 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकी थी जो वनडे की दूसरी सबसे तेज गेंद थी। टेट ने 2017 में चोट के चलते इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। टेट ने कहा, ‘ मैं इस बारे में एक घंटे तक बात कर सकता हूं…मुझे लगता है कि आप अभी कहीं भी जाएं, बॉलिंग प्रोग्राम बहुत कॉमन हैं, जैसे कि वर्कलोड, बॉलिंग प्रोग्राम, आपको यह करना होगा, आपको वह करना होगा। लेकिन जब मैं खेलता था तो उससे पहले शोएब और ब्रेट ली, हमारे प्रोग्राम वहां थे। लेकिन हमारे पास उनमें एक बड़ा इनपुट था। हमारा सामना रोबोट जैसे नहीं था। आप दिन-ब-दिन एक ही काम नहीं कर रहे हैं। आपको बताया नहीं जा रहा है कि लोग हर समय क्या करते हैं। आप अपने करियर पर थोड़ा सा वर्कलोड ले रहे हैं और वही कर रहे हैं जो आपके शरीर के लिए अच्छा लगता है।”
मौजूदा तेज गेंदबाजों में केवल ऑस्ट्रेलिया के मिशेल स्टार्क ने अपने करियर में 160.4 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी की है। इंग्लैंड के जोफ्रा आर्चर और मार्क वुड की सबसे तेज रिकॉर्ड की गई डिलीवरी क्रमशः 155 और 154.98 किमी प्रति घंटे की है जबकि भारत के जसप्रीत बुमराह ने भी एक बार 153 किमी प्रति घंटे की गति से गेंद फेंकी है। शॉन टेट ने आगे कहा कि आज के तेज गेंदबाज अपने आलोचनाओं को देखने के बाद चोटों से ‘बहुत डरते’ हैं। उन्होंने कहा कि प्रोफेशनल ट्रेनर और फिजियोथेरेपिस्ट भी गेंदबाजों को खुलकर गेंदबाजी करने की अनुमति नहीं देते हैं क्योंकि उनका काम खिलाड़ियों की फिटनेस पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, ‘ यह आपके करियर को बचाने के बारे में भी है। मैं ऐसा मानता हूं। मैंने हर समय कोशिश करना और तेज गेंदबाजी करना जारी रखा। लेकिन मैं उतना क्रिकेट नहीं खेल पाया, जितना कि मुझे खेलना चाहिए था क्योंकि मेरा शरीर अच्छा नहीं था। गेंदबाजों को जब चोट लगती है या फिर वे कुछ मैच में नहीं खेलते हैं तो इस बारे में मीडिया से उन्हें बहुत आलोचनाओं का सामना करना पड़ता हैं क्योंकि वे थके हुए हैं। यह देखकर, मुझे लगता है कि लोग अब इस चीज को लेकर डरते हैं कि कहीं उनका शरीरा चोटिल न हो जाए।