फर्रुखाबाद:विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस आज,महावारी अभिशाप नहीं वरदान, इसी से होता है संसार का निर्माण-डॉ नमिता दास


फर्रुखाबाद, 27 मई 2022 महिलाओं और किशोरियों को माहवारी के दौरान कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है । उनको इस तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े, इसलिए हर वर्ष 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है, ताकि उन्हें झिझक छोड़ने और इस बारे में खुलकर बात रखने का मौका मिल सके |यह अमूमन प्रत्येक 28 दिनों के पश्चात होने वाले स्त्री के पांच दिनों के मासिक चक्र का परिचायक है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ दलवीर सिंह ने बताया कि हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है , जिसमें हर महिला और लड़की जिस भी समय अपनी निजता, सुरक्षा एवं गरिमा के साथ है, अपने मासिक धर्म को स्वस्थ तरीके से प्रबंधित कर सकती है।
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जनपद सलाहकार चन्दन यादव ने बताया की इस दिवस को मनाने के पीछे मुख्य कारण है कि लड़कियां और महिलाएं मासिक धर्म को लेकर जागरूक होने के साथ ही इस विषय पर खुलकर अपनी बात रखें। मासिक धर्म के दौरान साफ-सफाई और स्वच्छता को लेकर विशेष रूप से सतर्क रहें, जिससे उन्हें किसी भी तरह के घातक संक्रमण का शिकार न होना पड़े।
चन्दन ने बताया कि पिछली वर्ष की भातिं इस बार भी सभी सीएचसी और राजेपुर बालिका इंटर कॉलेज में किशोरियों और महिलाओं को महावारी स्वच्छता दिवस पर महावारी पर जागरुक किया जाएगा | चंदन ने बताया कि समस्त सरकारी जूनियर एवं इंटर कॉलेज में पंजीकृत किशोरियों को शासन की ओर से निःशुल्क सेनेटरी नैपकीन का वितरण किशोर सुरक्षा योजना के अंतर्गत किया जाता है ।
डॉ राममनोहर लोहिया महिला अस्पताल में तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ नमिता दास कहती हैं कि मासिक धर्म के बारे में बताने वाली सबसे अच्छी जगह स्कूल हैं। यहां इस विषय को यौन शिक्षा और स्वच्छता से जोड़कर चर्चा की जा सकती है। वह कहती हैं कि घर में बच्चियों की मां भी इस बारे में अपनी सोच बदलें। इस बारे में अपनी बेटियों को ठीक से बताएं, ताकि उनकी बेटी को किसी के सामने शर्मिंदा न होना पड़े।
डॉ नमिता ने बताया कि माहवारी अभिशाप नहीं वरदान है इसी से संसार का निर्माण होता है l जब महिला को माहवारी नहीं होती है तो उसको तरह तरह की बातें समाज से सुनने को मिलती हैं इसलिए यह बहुत जरुरी है l
क्या कहती है माहवारी प्रबंधन पर एनएएफएचएस 2015-16 की रिपोर्ट
• एनएएफएचएस 2015-16 की रिपोर्ट के अनुसार देश में 58 प्रतिशत महिलाएं ही माहवारी प्रबंधन के लिए स्वच्छ साधन का उपयोग करती हैं। प्रदेश में यह आंकड़ा 47 प्रतिशत है।
• महिलाओं की कुल जनसंख्या का 75 प्रतिशत हिस्सा आज भी गांवों में है। इनमें से देश में 48 प्रतिशत व प्रदेश में 40 प्रतिशत महिलाएं ही माहवारी प्रबंधन के लिए स्वच्छ साधन का उपयोग करती हैं।
• 44 प्रतिशत महिलाएं यह कहती हैं कि वह अपनी माहवारी प्रबंधन की सामग्री को धोकर पुन: उपयोग करती हैं।
इन बातों का रखें ख्याल
घर में रखे पुराने गंदे कपड़े का प्रयोग नही करें। इससे संक्रमण का खतरा रहता है।
छह घंटे के अंतराल पर सैनिटरी नैपकिन बदलना चाहिए।
समय-समय पर अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई करती रहें।
पीरियड्स के समय कई बार शरीर में दर्द होता है। इसलिए गर्म पानी से नहाएं।
अपने बिस्तर की सफाई का ध्यान रखना चाहिए। समय-समय पर बेडशीट बदलती रहें।
अगर यात्रा पर हैं और शौचालय जाना हो तो सफाई वाली जगह पर जाएं।
खान-पान का रखें ख्याल। सुपाच्य आहार का सेवन करें।