फर्रुखाबाद, 30 नवम्बर 2022 एड्स एक लाइलाज बीमारी है, जिसके संक्रमण का सबसे बड़ा कारण असुरक्षित यौन संबंध है| इस बीमारी से असल मेँ बचाव सिर्फ सुरक्षा में ही निहित है। इसके साथ ही एचआईवी/एड्स पीड़ित मरीज समय से इलाज लेते रहें तो वह सामान्य जीवन भी जी सकते हैं । यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अवनीन्द्र कुमार का।
सीएमओ ने कहा कि लगातार चलाये जा रहे जागरूकता कार्यक्रम से एचआईवी को लेकर पहले के मुकाबले अब लोग ज्यादा जागरूक हुए हैं| इस वर्ष अभी तक 38 नए एचआईवी संक्रमित मिले हैं| एचआईवी / एड्स पर जागरूकता बढ़ाने के लिए ही प्रत्येक वर्ष एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है| इस वर्ष इस दिवस की थीम ‘समानता’ रखी गई है। इसका उद्देश्य है कि एचआईवी संक्रमित लोगों से भेदभाव न करते हुए उन्हें समान अवसर और बराबरी दिया जाना है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. रंजन गौतम ने बताया कि विश्व एड्स दिवस पर बाबू सिंह जय सिंह आयुर्वेदिक कालेज बघार में छात्रों को एड्स के कारण और इससे कैसे बचा जाये के बारे में जागरूक किया जायेगा | हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जाएगा l उन्होंने बताया कि एड्स यानि एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है जो एचआईवी वायरस के मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद कई सालों तक निष्क्रिय रहता है।
डॉ राम मनोहर लोहिया पुरुष अस्पताल में तैनात एचआईवी परामर्शदाता नीतू ने बताया कि एड्स का एकमात्र इलाज है बचाव। ‘सावधानी हटी – दुर्घटना घटी’ यह शब्द एड्स की बीमारी के लिए बिलकुल सही साबित होते हैं। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और अनैतिक संबंधों की बाढ़ में यह बीमारी और भी तेजी से फैल रही है। सिर्फ असुरक्षित यौन संबंधों से ही नहीं यह बीमारी संक्रमित खून या संक्रमित इंजेक्शन की वजह से भी यह फैलता है।
क्या कहते हैं आँकड़े
परामर्शदाता नीतू के अनुसार जिले में वर्ष 2002 से अब तक 695 एचआईवी के मामले सामने आ चुके हैं, वहीं इस वर्ष जनवरी 2022 से अब तक 7553 लोगो की जांच में 38 नये एचआईवी से पीडित मरीज़ मिले हैं| नीतू ने बताया कि डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय पुरुष में लिंक ए.आर.टी सेंटर पिछले वर्ष नवम्बर से खुल गया है जिन एड्स रोगियों का इलाज कानपुर ए.आर.टी सेंटर ,मेडिकल कालेज से चल रहा था उनको अब बाहर जाने की जरुरत नहीं है |
अहाना यूपीएनपी संस्था से जिला समन्वयक ज्योति शुक्ला ने बताया कि जिले में वर्ष 2019 से अब तक लगभग 53 गर्भवती एड्स से ग्रसित मिलीं जिनमें से 51 महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराया जा चुका है | प्रसव के बाद होने वाले बच्चों में एड्स का कोई भी लक्षण नहीं मिला |