फर्रुखाबाद ,30 मई 2023 जिले में चलने वाले संचारी अभियान, मलेरिया माह आदि से लोगों में जनजागरुकता आई है जिससे लगातार मलेरिया रोगियों का ग्राफ गिर रहा है lसन 2018 में 47105 लोगों की जांच में 1361 लोग मलेरिया से ग्रसित निकले, 2019 में 41521 लोगों की जांच में 923 लोग, 2020 में 10507 लोगों की जांच में 54, 2021 में 28115 लोगों की जांच में 155 लोग, 2022 में 67676 लोगों की जांच में 94 लोग तो वहीं इस वर्ष जनवरी’23 से अब तक 28941 लोगों की जॉच में 1 लोग मलेरिया से ग्रसित मिले जिनका समुचित इलाज किया गया और सभी लोग स्वस्थ हो गए l
हर वर्ष की भांति ही इस वर्ष भी 1जून से मलेरिया निरोधी माह माह मनाया जायेगा जो 30 जून तक चलेगा इस दौरान लोगों को मलेरिया रोग के प्रति जागरुक करने के साथ ही लार्वा निरोधक दवा का छिड़काव भी किया जायेगा l यह कहना है वेक्टर वॉर्न डिजीज के नोडल अधिकारी डॉ यू सी वर्मा का l
डॉ वर्मा ने बताया कि चार से आठ घंटे के चक्र में बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, ठंड लगना, पसीना आना और मिचली व उल्टी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत आशा कार्यकर्ता या स्वास्थ्यकर्मी से संपर्क करें। उनकी मदद से प्रशिक्षित चिकित्सक को दिखा कर उनकी सलाह पर मलेरिया की जांच कराई जानी चाहिए ।
प्रभारी जिला मलेरिया अधिकारी डॉ आर सी माथुर ने बताया कि मलेरिया के लक्षण दिखने पर तुरंत जांच और इलाज मलेरिया से बचाव का बेहतर उपाय है । समय से जांच व इलाज न होने से मलेरिया जानलेवा हो सकता है । मलेरिया की दवा बीच में नहीं छोड़नी है। लक्षण समाप्त होने पर भी मलेरिया का पूरा इलाज करवाना है। जिला स्तरीय अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र , प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स पर मलेरिया की जांच निःशुल्क है ।
उन्होंने बताया कि मलेरिया में परजीवी संक्रमण और लाल रक्तकोशिकाओं के नष्ट होने के कारण थकान की वजह से एनीमिया, दौरा या चेतना की हानि की स्थिति बन जाती है। सेरिब्रल मलेरिया में परजीवी रक्त के जरिये मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं और यह शरीर के अन्य अंगों में भी पहुंच कर हानी पहुंचाते हैं । गर्भावस्था में मलेरिया का होना गर्भवती के साथ-साथ भ्रूण और नवजात के लिए भी खतरा है । यह बीमारी मादा मच्छर एनोफीलिज के काटने के कारण होती है । अगर मलेरिया का संक्रामक मच्छर काट लेता है तो स्वस्थ मनुष्य में 10 से 14 दिन बाद यह रोग विकसित होता है।
डीएमओ ने बताया कि बुखार रोगी की रक्त पट्टिका बनाने पर आशा कार्यकर्त्ता को सरकार द्वारा 15 रूपये दिए जाते हैं अगर व्यक्ति मलेरिया धनात्मक निकल आता है तो आशा को पहले 75 रूपये दिए जाते थे जो अब बढ़कर 200 रूपये हो गए हैं l
प्रभारी सहायक मलेरिया अधिकारी नरजीत कटियार ने बताया कि मलेरिया का मच्छर सामान्यतः शाम और सुबह के बीच काटता है । अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को मलेरिया का संक्रमित मच्छर काटता है तो वह स्वयं तो संक्रमित होगा ही, दूसरे को भी संक्रमित कर सकता है । मच्छर के काटने के बाद इसका परजीवी लीवर के जरिये लाल रक्त कोशिकाओं तक पहुंचता है और संक्रमण पूरे शरीर में फैलने लगता है और यह रक्त कोशिकाओं को तोड़ने लगता है । संक्रमित रक्त कोशिकाएं हर 48 से 72 घंटे में फटती रहती हैं और जब भी फटती हैं बुखार, ठंड लगना और पसीना आने जैसे लक्षण भी सामने आते हैं । साथ ही कहा कि गर्भवती को मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में नहीं जाना चाहिए क्योंकि उनमें मलेरिया होने से जटिलताएं बढ़ जाती हैं l
नरजीत ने बताया कि मलेरिया से बचाव का सबसे बेहतर उपाय है कि पूरे बांह के कपड़े पहने, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, मच्छररोधी क्रीम लगाएं, घर में मच्छररोधी अगरबत्ती का इस्तेमाल करें । घरों में कीटनाशकों का छिड़काव करें, खुली नालियों में मिट्टी का तेल डालें ताकि मच्छरों के लार्वा न पनपने पाएं, मच्छरों के काटने के समय शाम व रात को घरों और खिड़कियों के दरवाजे बंद कर लें। इन उपायों के बावजूद अगर लक्षण दिखें तो मलेरिया की जांच करवा कर इलाज करवाएं ।
राजेपुर ब्लॉक के ग्राम भरखा के रहने वाले 54 वर्षीय गेंदालाल ने बताया कि पिछली वर्ष मुझे ठंड लगकर बुखार आया, पूरे शरीर में दर्द हुआ और उल्टी भी हुई कई जगह से दवा ली पर कोई फायदा नहीं हुआ तो इस बारे में आशा शोभा से बात की तो वह मुझे लेकर सीएचसी राजेपुर गई वहां पर डॉक्टर साहब को दिखाया मेरे खून की जांच हुई तो मुझे मलेरिया बुखार निकला l मुझे 14 दिन खाने के लिए दवा दी गई जिसको खाने के बाद मैं स्वस्थ हो गया l उसके बाद मेरे खून की दोबारा जांच हुई तो इस रोग की पुष्टि नहीं हुई l
मैं इस बारे में अगर आशा से बात न करता तो पता नहीं मेरा क्या होता l मेरा सभी से कहना है कि बुखार आने पर सरकारी अस्पताल में जरूर दिखाएं l