फर्रुखाबाद :घरेलू सामान को जीएसटी के दायरे में लाने के विरोध में नगर उद्योग व्यापार मंडल ने जिलाधिकारी को दिया ज्ञापन

देश में 01 जुलाई 2017 से एक देश एक टैक्स के नाम पर जी०एस०टी० को लाया गया था। जिसमें अभी तक हुई जी०एस०टी० काउंसिल की 47 बैठकों में 1200 से अधिक संशोधन किए जा चुके है। जिससे सरलता आने के बजाय दिन प्रतिदिन कठिनाइयाँ बढ़ती जा रही है। जिससे व्यापारियों एवं कर अधिवक्ताओं को अत्यन्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मण्डल निरन्तर मांग करता आया है कि ब्राण्डेड जो खाद्य वस्तुएं है उनको भी जी०एस०टी० की शून्य की श्रेणी में लाया जाना चाहिये। व्यापार मण्डल ने कमी राष्ट्रीय स्तर की कम्पनियों के ब्राण्ड की वकालत नहीं की। परन्तु जो छोटे-छोटे व्यापारी, उद्योग अपने गांव-कस्बे में अपनी वस्तुओं पर ब्राण्ड लगाकर विक्रय करते है। उनको जी०एस०टी० की शून्य श्रेणी में लाने के लिये निवेदन करते है।
प्रधानमंत्री आपने स्वयं कहा था कि आवश्यक वस्तुओं पर जी०एस०टी० नहीं लगाया जायेगा। जी०एस०टी० काउंसिल ने एफ०एस०एस०आई० एक्ट का हवाला देकर लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट के अनुसार सभी खाद्य वस्तुएं पैकिंग होकर और प्रोपर लेबल लगकर ही बिकेगी। चाहे वह मण्डी में बिकने वाला गेहूं, धान, दलहन, तिलहन मसाले एवं कोई भी सामान हो। तिलहन एवं मसाले पहले ही जीएसटी की 5 प्रतिशत के दायरे में आये हुए है, तथा चावल मिल का चावल पैक और लेबल लगकर बिकेगा। इसी तरह आटा मिल का आटा दाल मिल की दाल पैक एवं लेबल लगाकर बिकेगा और उन पर जीएसटी 18 जुलाई से लगा दिया जायेगा।
मण्डी में किसान अपनी कृषि जिस लेकर आता है और ढेर लगा कर अपनी कृषि जिस को बेचता है। व्यापारी इसको बैग में भरता है, और इस पर लेवल लगाकर प्रदर्शित करता है कि इसमें कौन सी क्वालिटी की जिंस है तो यह पैक भी हो गया और इस पर लेबल भी लग गया। जीएसटी काउंसिल की 28 29 जून की बैठक की अनुशंखा के अनुसार 18 जुलाई से जीएसटी के दायरे में आ जायेंगे।बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने ब्राण्ड चलाने के लिये हर खाद्य वस्तु को ब्राण्डेड की श्रेणी में लेने व जीएसटी के दायरे में लेने के लिये केन्द्र सरकार और जीएसटी काउंसिल के सदस्यों पर निरंतर दबाब डालते रहे है।

80 करोड़ लोगो को भारत सरकार खाद्य वस्तुएं उपलब्ध कराकर उनकी समस्या दूर करती है। परन्तु भारत का 55 करोड़ मध्यमवर्गीय उपभोक्ता जिसमें छोटे-छोटे ट्रेड व उद्योग भी शामिल है। स्वरोजगार के माध्यम से ही अपने सूक्ष्म आय के स्त्रोतों के अनुसार खाद्य वस्तुओं की व्यवस्था करता है। खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लगाना इनके हितों पर कुठाराघात होगा। आज भारत में आनलाइन व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। ऑनलाइन कम्पनियां उपरोक्त को डिस्काउन्ट की लालच देती है। व्यापारियों का व्यापार सिमटता जा रहा है, लाखो व्यापारी बेरोजगार हो चुके हैं।
वेयर हाउस में रखे जाने वाले कृषि उत्पाद, मूंगफली, नारियल, मसालें, काटन आदि वस्तुएं जो अभी तक कर मुक्त के दायरे में थी इनको भी जीएसटी के दायरे में लाया गया है। उन्हें पूर्ण की भांति कर मुक्त की श्रेणी में रखा जायें।
होटल में रू0 1000/- तक के कमरों पर जीएसटी काउंसिल द्वारा 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लेने का निर्णय लिया गया है जिसमें कमजोर और मध्यवर्गीय तथा नौकरी पेशा लोगो पर अतिरिक्त बोझ बढेगा इस कर मुक्त रखा जाये।जीएसटी में विक्रेता की गलती का खामियाजा क्रेता व्यापारी को कर का भुगतान करने के बाद भी उठाना पड़ता है और रिवर्स चार्ज द्वारा कर का भुगतान करना पड़ता है। जीएसटी काउंसिल अभी तक जीएसटी विवादों के निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल बैन्चों की स्थापना नहीं की गयी। जिस कारण से व्यापारियों को अपने विवाद के निपटारे के लिये मा० उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ती है। जिस कारण अनावश्यक व्यय एवं समय लगता है। अतः देश में शीघ्र ही ट्रिब्यूनल बैन्चों की स्थापना की जायें। गेहूं, आटा, चावल, मुरमुरे, दूध, दही, छांछ एवं गुल जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी नहीं लगने दें। दिनांक 28-29 जून की 47वीं जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में भारत सरकार को आवश्यक वस्तुओं पर लेबलिंग के नाम पर लगाये जाने वाले कर (जीएसटी) की अनुशंषा को निरस्त करवाने की कृपा करेंगे।

अरूण प्रकाश तिवारी (ददुआ) प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश सक्सेना नगर महामंत्री अंकुर श्रीवास्तव युवा नगर अध्यक्ष संजीव मिश्रा (बावी) जिलाध्यक्ष
सोनी शुक्ला सरदार जगदीप सिंह नगर चेयरमैन सोनी शुक्ला नगर महिला अध्यक्ष अनीता शर्मा महिला नगर महामंत्री नाजिम खाँ राजेन्द्र चौहान तौसीम नितिला राजू भारद्वाज साहबगंज चौराहा अध्यक्ष आफताब अंसारी नगए उपाध्यक्ष राचिन शर्मा पवन धक्का पुल रहोस व्यापार मण्डल मो. इसरार शाहिद अन्य करीग
शबिज खान अजीम नितिन बर्मा पप्पू गोविन्द्र वायस हाजी इकलाख खाँ रेखा चौहान आदि उपस्थित रहे।

सवांददाता: धर्मबीर शाक्य