फर्रुखाबाद:टीबी का इलाज पूरी तरह संभव, जागरूक बनें और रोगी का साथ निभाएं,भ्रांतियों को दूर करने में जुटे टीबी चैम्पियन रजनीकांत

फर्रुखाबाद, 18 जुलाई 2023 बीमारी की स्थिति में अपनों का साथ मिलने से मरीज को बड़ी से बड़ी बीमारी से लड़ने की ताकत मिलती है l टीबी की बीमारी में इसकी खास जरूरत है क्योंकि लोगों में आज भी इस बीमारी को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां हैं, जिसे दूर करना बहुत जरूरी है l

लोग सोचते हैं कि यह लाइलाज है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है | इसका इलाज पूरी तरह से संभव है l इसलिए टीबी रोगियों से भेदभाव करने की बजाय उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए जिससे उनकी इच्छाशक्ति मज़बूत हो और वह इलाज पूरा कर जल्द स्वस्थ हो सकें – यह कहना है टीबी चैंपियन रजनीकांत का l

राजेपुर ब्लॉक के ग्राम कुम्हरौर के रहने वाले 50 वर्षीय रजनीकांत (बदला नाम) ने टीबी के साथ परिवार से भेदभाव भी झेला, पर आज ठीक होकर दूसरे मरीजों की मदद कर रहे हैं l वह अब तक पांच रोगियों को अस्पताल से जोड़कर स्वस्थ कर चुके हैं l
रजनीकांत बताते हैं – खेती-बाड़ी कर परिवार का पालन-पोषण करता हूँl वर्ष 2017 में कई दिनों तक बुखार बना रहा और खांसी आ रही थी l कई निजी चिकित्सकों को दिखाया पर कोई आराम नहीं मिला l पड़ोसियों की सलाह पर वृन्दावन से इलाज कराया पर समस्या बनी रही l धीरे-धीरे वज़न भी गिरने लगा l बिगडती हालत देख घर में बेटे-बेटियों तक ने बात करना बंद कर दिया l दूर से खाना दे दिया जाता था, कोई भी पूछने वाला नहीं था l पत्नी जरूर कहती थी कि ठीक हो जाओगे l पत्नी की सलाह पर गांव की आशा को परेशानी बताई तो उन्होंने सीएचसी राजेपुर में तैनात एसटीएस रिजवान अली को जानकारी दी l एसटीएस मिलने घर आए और टीबी की जाँच कराने को कहा l इसके साथ ही समझाया कि टीबी लाइलाज नहीं है बस समय से दवा खाने और उचित पोषण से इसको ठीक किया जा सकता है l इससे मन में जो हताशा थी वह खत्म हो गई l

रजनीकांत बताते हैं कि उन्होंने लगभग नौ माह तक सीएचसी से दवा खाई और आज वह पूरी तरह स्वस्थ हैं l उनका कहना है – सरकारी दवा टीबी के लिए बेहद कारगर है l उस पर विश्वास करें और पूरा इलाज कराएंl
रजनीकांत के सहयोग से क्षयमुक्त हुई 65 वर्षीया नन्हीं देवी ने बताया – मुझे लगभग दो वर्ष पहले बुखार आया जो जाने का नाम ही नहीं ले रहा थाl इसके साथ ही खांसी आने लगी तो मैंने अपने गांव के रजनीकांत से बात कीl मेरे बेटे ने बताया था कि उन्हें भी इस तरह की परेशानी हुई थीl रजनीकांत मुझे अपने साथ राजेपुर अस्पताल लेकर गए जहां जांच में फेफड़े की टीबी निकलीl मेरी दवा गांव की आशा से मिलने लगीl छह माह तक नियमित दवा लेने के बाद मैं स्वस्थ हो गई l अगर रजनीकांत साथ न देते तो जांच और इलाज आसानी से न हो पाता l

टीबी से बचाव के लिए बरतें सावधानी – जिला क्षय रोग अधिकारी
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ रंजन गौतम का कहना है कि केवल फेफड़े की टीबी संक्रामक होती है, अगर पूरी सावधानी बरती जाए, जैसे- रोगी मास्क लगाकर रहे, इधर-उधर न थूके और खांसते-छींकते समय स्वस्थ स्वास्थ्य व्यवहार अपनाए तो वह दूसरे को प्रभावित नहीं कर सकता | कमज़ोर प्रतिरोधक क्षमता वालों को टीबी संक्रमणकी सम्भावना अधिक रहती है आशा कार्यकर्ता को चाहिए कि टीबी रोगी से बात करते समय घर वालों को भी इस रोग के बारे में जानकारी दें और क्या सावधानीबरतने की ज़रूरत है यह भी बताएंl

क्षय रोग विभाग से जिला समन्वयक सौरभ तिवारी ने बताया – जिले में इस समय 2726 क्षय रोगियों का इलाज चल रहा है l जिला क्षय रोग केंद्र को मिलाकर 11 टीबी यूनिट हैं, इसके साथ ही सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेन्टर, पीएचसी, नगरीय स्वास्थ्य केंद्रों पर क्षय रोगियों को दवा दी जाती है l किसी को अगर दो सप्ताह से अधिक समय से खांसी आ रही है, बुखार बना रहता है, बलगम से खून आ रहा है, साथ ही वजन कम हो रहा है और भूख भी नहीं लग रही है तो सरकारी अस्पताल में फौरन दिखाएं l यह सभी लक्षण क्षय रोग के हो सकते हैं l