(द दस्तक 24 न्यूज़) 22 जुलाई 2024 फाइलेरिया रोग की भयावह स्थिति को जानना हो तो जिस व्यक्ति को यह रोग हो गया है उससे जाकर जानकारी करो की कि कितना तकलीफ़ देह होता है यह रोग l इसी रोग के उन्मूलन की लिए प्रदेश के 27 जिलों में 10 अगस्त से फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जाएगा l इसी को लेकर सीएचसी बरोन में सुपरवाइजर को प्रशिक्षण दिया गया l
जिला मलेरिया अधिकारी नौसाद अली ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत घर घर जाकर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जायेगी l मेरी जनसामान्य से अपील है कि स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ही दवा खाएं अगर कोई परेशानी होती है तो रैपिड रिस्पांस टीम द्वारा फौरन आपका इलाज किया जायेगा l
डीएमओ ने कहा कि हाईड्रोसील हो जाना, हाथी पाँव हो जाना, महिलाओ के स्तन में सूजन आ जाना यह सब फ़ाईलेरिया रोग के लक्षण हैं, फ़ाईलेरिया रोग मच्छरों द्वारा फैलता है । खासकर क्यूलैक्स मादा मच्छर के जरिए । जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया रोग से ग्रसित व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है फिर यह मच्छर रात के समय किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काट लेता है तो फाइलेरिया रोग के परजीवी रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया रोग से ग्रसित कर देते हैं। इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है। इसकी रोकथाम इसका समाधान है। फाइलेरिया के लक्षण नहीं दिखने पर भी इस दवा का सेवन करना जरूरी है।
डीएमओ ने बताया कि फ़ाईलेरिया रोग प्रबंधन के लिए पहली बार 1 वर्ष से ऊपर और 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को एल्वेंडाजोल की आधी टैबलेट खिलाई जा रही है l 2 वर्ष से ऊपर तथा 5 वर्ष से छोटे बच्चों को डी.ई.सी. की 1 टैबलेट और एल्वेंडाजोल की 1 टैबलेट एवं 5 वर्ष से ऊपर और 15 वर्ष से छोटे बच्चों को डी.ई.सी.की 2 टैबलेट व एल्वेंडाजोल की 1 टैबलेट तथा 15 वर्ष से ऊपर सभी व्यक्तियो को डी.ई.सी. की 3 टेबलेट व एल्वेंडाजोल की 1 टैबलेट खिलाई जायेगी । डी.ई.सी. एवं अलबेन्डाजोल की टैबलेट को खाली पेट नहीं खाना चाहिए | यह दवाएं खाना खाने के बाद खानी है ऐसे व्यक्ति जो अधिक बीमार हो, गर्भवती एवं दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को फाइलेरिया की दवा नहीं खिलाई जाएगी।
फाइलेरिया के लक्षण :
-सामान्यतः तो इसके कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं।
-बुखार, बदन में खुजली तथा पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है।
-पैरों व हाथों में सूजन, हाथी पाँव और हाइड्रोसिल के रूप में भी यह समस्या सामने आती है।
फाइलेरिया से बचाव :
*मच्छरो से बचने के लिए मच्छर दानी का प्रयोग करें
*घर के आस-पास कूडे को इकठ्ठा न होने दें, कूडेदान का प्रयोग करे
*आसपास पानी न जमा होने दे
*गन्दे पानी में केरोसिन भी डाल दे
*चोट या घाव वाले स्थान को हमेशा साफ़ रखे
*पूरी बाजू का कपड़ा पहने
इस दौरान सीएचसी बरोन के एमओसी डॉ अनुनय कुटार, पाथ संस्था से डॉ अरुण मौजूद रहे l