फर्रुखाबाद:विश्व मासिक धर्म दिवस पर विशेष (28 मई) महावारी प्रबंधन ग्रामीण परिवेश में आज भी चुनौतीपूर्ण – डॉ दलवीर सिंह

फर्रुखाबाद, 27 मई 2023 राजेपुर ब्लॉक के ग्राम विलालपुर की निवासी 16 वर्षीय किशोरी मीना (बदला हुआ नाम) कहती हैं कि मुझे जब पहली बार मासिक धर्म आया तो मैं डर गई कि यह मुझे क्या हो गया डर और झिझक के कारण किसी से नहीं कहा लेकिन मेरे कालेज राजकीय बालिका इंटर कालेज राजेपुर में समय समय पर अस्पताल से एक दीदी नीलम मिश्रा आती हैं उन्होंने इस बारे में सबसे चर्चा की थी तो इस बारे में मुझे कुछ जानकारी थी साथ ही उन्होंने अपना मोबाइल नम्बर भी सभी को दे रखा था तो मैंने भी उनसे फोन कर इस बारे में जानकारी की तो उन्होंने बताया कि एक उम्र आने पर यह सभी को होता है इससे डरने की जरुरत नहीं है स्कूल से मिली सैनेट्री पैड का प्रयोग करो और साफ सफ़ाई रखो l उनसे जानकारी मिलने के बाद मन में बढ़ी हुई उलझन को शांति मिली l अब मैं भी अपनी सहेलियों से इस बारे में बात करती रहती हूं कि इससे डरने की आवश्यकता नहीं है l

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ दलवीर सिंह ने बताया कि महिलाओं और किशोरियों को माहवारी के दौरान कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है । उनको इस तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े, इसलिए हर वर्ष 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है, ताकि उन्हें झिझक छोड़ने और इस बारे में खुलकर बात रखने का मौका मिल सके |यह अमूमन प्रत्येक 28 दिनों के पश्चात होने वाले स्त्री के पांच दिनों के मासिक चक्र का परिचायक है। इस वर्ष माहवारी
स्वच्छता दिवस की थीम है- ‘मेंस्ट्रूअल हाइजीन समस्या के प्रति हम सभी समर्पित’

नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ शोभा सक्सेना कहती हैं कि मासिक धर्म के बारे में बताने वाली सबसे अच्छी जगह स्कूल हैं। यहां इस विषय को यौन शिक्षा और स्वच्छता से जोड़कर चर्चा की जा सकती है। वह कहती हैं कि घर में बच्चियों की मां भी इस बारे में अपनी सोच बदलें। इस बारे में अपनी बेटियों को ठीक से बताएं, ताकि उनकी बेटी को किसी के सामने शर्मिंदा न होना पड़े। उनका कहना है कि महिलाओं की कुल जनसंख्या का 75 प्रतिशत हिस्सा आज भी गांवों में है। इनमें से देश में 48 प्रतिशत व प्रदेश में 40 प्रतिशत महिलाएं ही माहवारी प्रबंधन के लिए स्वच्छ साधन का उपयोग करती हैं। 44 प्रतिशत महिलाएं यह कहती हैं कि वह अपनी माहवारी प्रबंधन की सामग्री को धोकर पुन: उपयोग करती हैं।

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जनपदीय सलाहकार चन्दन यादव ने बताया की मासिक धर्म के दौरान साफ-सफाई और स्वच्छता को लेकर विशेष रूप से सतर्क रहें, जिससे उन्हें किसी भी तरह के घातक संक्रमण का शिकार न होना पड़े। उन्होंने बताया कि इस बार अंतर्राष्ट्रीय महावारी स्वच्छता दिवस 28 मई यानि रविवार को है इसलिए अवकाश होने के कारण अगले कार्यदिवस में यह कार्यक्रम सभी सीएचसी, डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय महिला में आयोजित कर किशोरियों और महिलाओं को जागरुक किया जाएगा | इस पिछले वित्तीय वर्ष में 789 सरकारी जूनियर एवं इंटर कॉलेज में पंजीकृत 38184 किशोरियों को शासन की ओर से 81700 सेनेटरी नैपकीन का वितरण किशोरी सुरक्षा योजना के अंतर्गत किया गया है शेष 4800 सेनेटरी नैपकीन को जनपद में 8 जगह संचालित साथिया केंद्रों पर किया गया जहां पर आने वाली किशोरियों को इनका वितरण किया गया ।

क्या कहती है माहवारी प्रबंधन पर एनएफएचएस 2015-16 की रिपोर्ट

एनएफएचएस 2015-16 की रिपोर्ट के अनुसार देश में 58 प्रतिशत महिलाएं ही माहवारी प्रबंधन के लिए स्वच्छ साधन का उपयोग करती हैं। प्रदेश में यह आंकड़ा 47.1 प्रतिशत है।