फर्रुखाबाद, 4 अगस्त 2022 कोरोना से बच्चों को सुरक्षित बनाने को लेकर पिछले वर्ष 2021 में स्वास्थ्य विभाग द्वारा धात्री महिलाओं को बच्चों के स्तनपान पर अधिक जोर दिया गया | इसका ही परिणाम रहा कि बच्चों पर कोरोना का असर कम पडा l यह तो मां का दूध ही है जो अमृत समान रहा और बच्चों को सुरक्षित रखा l यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अवनींद्र कुमार का l
सीएमओ ने कहा कि जो माताएं बच्चों को भरपूर स्तनपान कराती हैं, उन्हें बच्चों की ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है | मां का दूध बच्चे को रोगों से लड़ने की ताकत देता है तथा कोरोना ही नहीं बल्कि कई अन्य संक्रामक बीमारियों से भी बच्चे को पूरी तरह से महफूज रखता है | इसलिए स्तनपान के फायदे को जानना हर महिला के लिए बहुत जरूरी है | इसके प्रति जागरूकता के लिए ही हर साल एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है |
इसी क्रम में जिलास्तरीय गोष्ठी गुरुवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में हुई l
इस दौरान एसीएमओ आरसीएच डॉ उत्तम चंद्र वर्मा ने बताया कि स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए ही इस साल इस सप्ताह की थीम है ‘स्तनपान के लिए कदम बढ़ाएं, शिक्षित करें और समर्थन करें रखी गई है | सप्ताह को मनाने का मुख्य उद्देश्य धात्री माताओं और परिवार वालों को मां का दूध शिशु के लिए क्यों आवश्यक है, इसके बारे में जागरुक करना है l नवजात शिशुओं के लिए मां का दूध अमृत समान है |
डॉ वर्मा ने कहा कि स्तनपान को बढ़ावा देकर शिशु मृत्यु-दर में कमी लाई जा सकती है | शिशुओं को जन्म से छह माह तक केवल मां का दूध पिलाने के लिए महिलाओं को इस सप्ताह के दौरान विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाता है | स्तनपान की सही जानकारी न होने के कारण बच्चा संक्रमण से दस्त का शिकार हो जाता है | मानसिक विकास भी बाधित होता है | अगर बच्चा का समय से पहले जन्म (प्रीमेच्योर) हुआ है तो उसे बड़ी आंत की बीमारी हो सकती है | मां का दूध छह-आठ महीने तक बच्चे के लिए श्रेष्ठ ही नहीं, जीवन रक्षक भी होता है |
मां के दूध में होते हैं जरूरी पोषक तत्व :
डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शिबाशीष उपाध्याय बताते हैं कि मां के दूध में जरूरी पोषक तत्व, एंटी बाडीज, हार्मोन, प्रतिरोधक कारक और ऐसे आक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो नवजात शिशु के बेहतर विकास और स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं | शिशु को सही समय और पर्याप्त मात्रा में मां का दूध न मिल पाना भी कुपोषण की समस्या का एक प्रमुख कारण है |
डॉ. शिबाशीश ने कहा कि शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान की शुरुआत, शिशु और पांच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु के अनुपात को कम कराने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है |
उन्होंने बताया कि मां का दूध शिशु को निमोनिया, डायरिया और कुपोषण के जोखिम से भी बचाता है |
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (2019 21) के अनुसार जिले में 6 माह से कम उम्र के 58.6% बच्चे ऐसे हैं जिनको सिर्फ मां का दूध पीने को मिलता है वहीं यह दर एनएफएचएस 4( 2015 16) में 56.4%थी तो जागरूकता की वजह से जिले में स्तनपान को बढ़ावा मिला है l वहीं एनएफएचएस 4 के अनुसार जिले में 3वर्ष से कम उम्र के बच्चे जिन्होंने एक घंटे के अंदर सिर्फ मां का दूध प्राप्त किया की दर 22.1% थी जो एनएफएचएस 5 के सर्वे में 32.9%हो गई है यानि कहीं न कहीं अपने बच्चे को स्तनपान कराने के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है l
इस दौरान डॉ राममनोहर लोहिया अस्पताल के सीएमएस डॉ राजकुमार गुप्ता, डीपीएम कंचन बाला, डीसीपीएम रणविजय प्रताप सिंह और सभी सीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारी मौजूद रहे l