फर्रुखाबाद ,18 दिसंबर 2022 जीवन में आंखों की अहमियत क्या होती है, यह उस बालिका से अधिक कौन जान सकता है, जिसने जन्म के 16 साल बाद दुनिया देखी हो। ऐसी ही कुछ कहानी है कायमगंज ब्लॉक के कमलाई नगर की रहने वाली प्रांशी की l
प्रांशी के पिता आदित्य प्रकाश बताते हैं कि मेरी बेटी को जन्म से मोतियाबिंद था। उसकी एक आंख में जन्म से कम दिखाई देता था। मैं पुजारी हूं और मेरे पास इतना पैसा नहीं किसी बड़ी बीमारी का इलाज कर सकूंl प्रांशी कक्षा 12 में पढ़ती है।
आदित्य ने बताया कि एक दिन सीएचसी कायमगंज से डॉ अनुपम नेत्र परीक्षक अतीत वर्मा की टीम ने कालेज में शिविर लगाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की। इसमें मेरी बेटी प्रांशी भी शामिल थी l उसकी आंख की जांच होने के बाद अतीत वर्मा ने कहा कि आपकी आंखों की रोशनी वापस आ जाएगी। इसके लिए कोई पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ेगा। यह सुनकर ऐसा लगा कि ऊपर वाले ने अतीत वर्मा और डॉ अनुपम को फरिश्ते के रूप में भेजा है l स्वास्थ्य टीम ने 3 अक्टूबर को मेरी बेटी के साथ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में ऑपरेशन के लिए भेजा। 6 अक्टूबर को उसकी एक आंख का आपरेशन हुआ और आज मेरी बेटी देखने लगी है l मैं स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम का धन्यवाद करता हूंl
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के डी ई आई सी मैनेजर अमित शाक्य ने बताया कि योजना के तहत 38 चयनित बीमारियों में 19 वर्ष तक के बच्चों का नि:शुल्क इलाज करवाया जाता है।
इस वित्तीय वर्ष में अब तक जिले में योजना के तहत 5 कटे-फटे होंठ वाले बच्चों का, 3 मोतियाबिंद से पीड़ित बच्चों का , 23 टेढ़े मेढे पैर वाले बच्चों का, 3 न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, और 6 तालू कटे हुए बच्चों का इलाज करवाया गया है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ दलवीर सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, भारत सरकार की स्वास्थ्य योजना है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे बच्चे हैं जिनके परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है या वह सेवा की पहुंच से दूर हैं। उन बच्चों के लिए ये योजना लाभदायक है। योजना के तहत जन्म के समय कोई रोग, बीमारी या स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान बीमारी का पता चलने पर बच्चे को इलाज किया जाता हैl