फर्रुखाबाद, 6 जनवरी 2023 हाइड्रोसील फाइलेरिया का ही एक रूप है इसमें पुरुष के अंडकोष में पानी भरने के साथ ही सूजन आ जाती है, जिससे रोगी को चलने फिरने में परेशानी होने लगती है यह कहना है ज़िला मलेरिया अधिकारी डॉ आर सी माथुर का l
डीएमओ ने बताया कि हाइड्रोसील का सफल आपरेशन डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में हर गुरूवार को किया जाता है l आपरेशन कुशल डॉक्टर से ही कराएं नीम, हकीम, झोलाछाप डॉक्टर के चक्कर में न पड़ें , नहीं तो आपकी सेहत के लिए यह घातक सिद्ध हो सकता है l
डीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया के लक्षण प्रतीत होने पर जल्द से जल्द पास के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सम्पर्क करें और इसके इलाज में लापरवाही न बरतें l इसके साथ ही जब भी फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चले, उस दौरान मिलने वाली फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन जरूर करें l
डीएमओ ने बताया कि वर्तमान में ज़िले में लगभग 1013 लोग फाइलेरिया से ग्रसित हैं |
उन्होंने बताया कि डॉ राम मनोहर लोहिया चिकित्सालय में 12 जनवरी को हाइड्रोसील शिविर लगेगा। जरूरतमंद व्यक्ति अपना हाइड्रोसील ऑपरेशन करवाने के लिए एक दिन पूर्व जिला चिकित्सालय के सर्जरी विभाग या जिला मलेरिया कार्यालय फतेहगढ़ में संपर्क कर लाभ उठा सकता है। फाइलेरिया निरीक्षक दीपांशु यादव ने बताया कि जिले में अभी 482 फाइलेरिया रोगी हैंl साथ ही अब तक 36 लोग आपरेशन करा चुके हैंl
डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय के सर्जन डॉ वहीदुल हक ने बताया कि हाइड्रोसील पुरुष के अंडकोष में होने वाली एक आम समस्या है जिसमें अंडकोष में द्रव यानी पानी जमा हो जाता है। हाइड्रोसील के कारण अंडकोष का आकार बढ़ जाता है और उसमें दर्द भी हो सकता है।
डॉ हक ने बताया कि छोटे बच्चों को हाइड्रोसील हो सकता है, लेकिन यह कुछ समय के अंदर अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि, वयस्कों में उपचार की आवश्यकता होती है। हाइड्रोसील का उपचार करने के लिए अंडकोष में जमा पानी को बाहर निकाला जाता है।
डॉ हक ने बताया कि हाइड्रोसील अंडकोष में चोट लगने, नसों में सूजन आने या स्वास्थ्य से संबंधित किसी प्रकार की समस्या, ज्यादा शारीरिक संबंध बनाने, हेवी एक्सरसाइज करने, भारी वजन उठाने या दूसरे अन्य कारणों से हो सकता है l
हाइड्रोसील के लक्षण
अंडकोष का आकार बढ़ना
हाइड्रोसील में तेज दर्द होना
हाइड्रोसील में सूजन होना
शरीर का अस्वस्थ होना
चलने फिरने में दर्द और असहजता होना
उल्टी, कब्ज, दस्त और बुखार आना
ज्ञानेन्द्रियों की नसें ढीली और कमजोर होना