फर्रुखाबाद-नो स्मोकिंग डे 9 मार्च पर विशेष धूम्रपान करना मौत को दावत देना धूम्रपान करने से पैसे, इज्जत और स्वास्थ्य की होती बर्बादी-डॉ दलवीर


फर्रुखाबाद:स्मोकिंग करने से न सिर्फ आपकी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि आपके पैसे और इज्जत की भी बर्बादी होती है। यह कहना है अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के नोडल डॉ दलवीर सिंह का। डॉ सिंह ने बताया कि स्मोकिंग करने से फेफड़े बुरी तरह से खराब हो जाते हैं। सिगरेट में मिलने वाला निकोटीन आपके नर्वस सिस्टम पर असर डालता है। इस कारण आपको अधिक थकान महसूस होती है और धूम्रपान की तलब लगती है।
डॉ सिंह ने बताया कि पहली बार वर्ष 1984 में मार्च के दूसरे बुधवार को नो स्मोकिंग डे मनाया गया। इसे मनाने के पीछे मकसद है लोगों को स्मोकिंग के प्रति जागरूक करना। इस बार यह दिवस 9 मार्च को पड़ रहा है।

डॉ सिंह ने बताया कि स्मोकिंग करने से खतरनाक पदार्थ हमारे लंग्स में चले जाते हैं। जिसके कारण क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, इम्फेसिया, लंग कैसर जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ता है।

डॉ सिंह ने बताया कि स्मोकिंग करने से आपके हार्ट पर बुरा असर पड़ता है । जिसके कारण आपकी नसें बहुत ही सख्त हो जाती है, उसमें ब्लड फ्लो होने पर दिक्कत होती है। जिससे आपका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। कई बार ब्लड क्लॉट्स बन जाते हैं जिसके कारण स्ट्रोक भी आ जाता है।
डॉ सिंह ने बताया कि स्मोकिंग करने से आपकी ग्रासनली, गले और मुंह के कैंसर होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। इसके साथ-साथ पाचनतंत्र पर बुरा असर पड़ता है। जिसके कारण पैनक्रिएटिक कैंसर के भी शिकार हो जाते हैं।
तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के जनपद सलाहकार सूरज दुबे ने बताया कि सिगरेट पीने के 3 मिनट बाद से ही फेफड़े में ऑक्सीजन लेबल कम होने लगता है। ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है। शरीर में मोनोऑक्साइड बढ़ने लगता है। जिससे ऑक्सीजन लेबल कम हो जाता है।
सूरज ने बताया कि वक्त गुजरने के साथ दिल की बीमारी, ब्रोंकाइटिस, न्यूमोनिया, स्ट्रोक, कैंसर और खास कर मुंह का कैंसर समेत स्वास्थ्य समस्याओं की ज्यादा गंभीर स्थिति विकसित हो सकती है। दुनिया में 90 प्रतिशत मुंह का कैंसर धूम्रपान के सेवन से हो रहा है। स्मोकिंग करने से खांसी, गले में जलन के साथ सांस लेने में दिक्कत होती है। इसके साथ कपड़े में बदबू और दाँत के रंग बदलने लगते है।
काउंसलिंग के लिए मिलाएं टोल फ्री नम्बर
जिले में अप्रैल 2018 से जनवरी 2022 तक 39,781 लोगों की काउंसलिंग की गई। इसमें से 186 लोगों ने तम्बाकू से बने उत्पादों को छोड़ दिया। कुछ लोग काउंसलिंग के लिए आते तो हैं लेकिन बीच में ही छोड़ देते है। हालांकि इसकी अवधि नौ माह होती है। इसके बाद फालोअप किया जाता है। अगर किसी कारणवश कोई व्यक्ति काउंसलिंग के लिए नहीं आ पाता है तो टोल फ्री नम्बर 1800112356 कॉल कर काउंसलिंग करा सकता है।
याकूतगंज के रहने वाले पेशे से राजगीरी का काम करने वाले 55 वर्षीय चमन खां कहते हैं मुझे गुटखा और धूम्रपान करने की आदत 27 वर्ष की अवस्था से लगी एक दिन मैं लोहिया अस्पताल में अपने दातं दिखाने आया तो डॉ ने मुझे तम्बाकू छोड़ने की सलाह दी मैंने सोचा सही तो कह रहे हैं तो काफी समय लगा इसको छोड़ने में |
चमन कहतें है मैंने जब तम्बाकू की लत को छोड़ा तो कुछ दिन तक परेशानी हुई लेकिन अब सब ठीक है |इसके बाद मैंने अपनी पत्नी को पानं खाने से मना किया तो उसने भी खाना छोड़ दिया| मेरे सात बच्चे है कोई भी तम्बाकू से बने उत्पादों का सेवन नहीं करता है |साथ ही मैंने कई लोगों की शराब और अन्य नशे की लत को छुड़ाया |