(द दस्तक 24 न्यूज़) , 25 अगस्त 2024 जब किसी घर में कोई नवजात जन्म लेता है तो परिवार की खुशियां देखते ही बनती हैं लेकिन अगर घर बालों को पता चले की बच्चे के पैर टेडे मेडे है तो सारी खुशी न जाने कहां चली जाती है इसी को लेकर भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसके अंतर्गत जन्मजात दोष से पीड़ित बच्चों का निशुल्क इलाज किया जाता है l
इसी को लेकर कानपुर से आए आर्थो डॉ राजेश वाजपेई ने लोहिया चिकित्सालय में क्लब फुट से पीड़ित बच्चों का चिकित्सीय परीक्षण किया और डॉ नीरज को इस बारे में बारीकियां भी सिखाईं l इस दौरान अनुष्का फाउंडेशन से ब्रांच मैनेजर सैय्यद अली फैजान और क्लब फुट से पीड़ित बच्चे मौजूद रहे l
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ दलवीर सिंह ने बताया कि क्लबफुट एक सामान्य प्रकार का जन्म दोष है जो पैरों की मांसपेशियों और हड्डियों को प्रभावित करता है। सीधे होने के बजाय, क्लबफुट नीचे की ओर इशारा करता है और अंदर की ओर मुड़ जाता है। इस मोड़ के कारण पैर की उंगलियां विपरीत पैर की ओर मुड़ जाती हैं। बच्चा एक या दोनों पैरों में खराबी के साथ पैदा हो सकता है।
क्लबफुट दर्दनाक नहीं होता है और जब तक बच्चा खड़ा होना और चलना शुरू नहीं कर देता तब तक इससे स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या नहीं होगी। लेकिन अगर क्लबफुट का इलाज नहीं किया गया तो इससे गंभीर समस्याएं हो सकती हैं – और यहां तक कि बच्चा चलने में भी असमर्थ हो सकता है। इसलिए इसे तुरंत ठीक करना बहुत महत्वपूर्ण है l
क्लबफुट को स्थायी रूप से ठीक करने में कई साल लग सकते हैं। लेकिन अगर क्लबफुट को ठीक नहीं किया गया तो यह शारीरिक और भावनात्मक समस्याएं पैदा कर सकता है। डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में संचालित अनुष्का फाउंडेशन से आलोक वाजपेई ने बताया कि माह के हर शनिवार को क्लब फुट से ग्रसित बच्चों का इलाज किया जाता है l
आलोक ने बताया कि अगर कोई बच्चा क्लब फुट से पीड़ित हो तो अपने पास के सरकारी अस्पताल में जाकर दिखाए और डॉक्टर के कहे अनुसार इलाज कराए तो बच्चे को क्लब फुट से निजात मिल सकती है और बच्चा अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है l
इस वित्तीय वर्ष में अब तक 84 बच्चों का इलाज डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में चल रहा है l साथ ही कहा 800 जीवित जन्म में एक बच्चा क्लब फुट से ग्रसित पैदा होता है वहीं देश की अगर बात की जाए तो अपने देश में प्रतिवर्ष 35 हजार बच्चें क्लब फुट से ग्रसित पैदा होते हैं l