फर्रुखाबाद: जनपद सहित प्रदेश के 19 जिलों में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम 12 मई से 27 मई के बीच चलाया जायेगा | इस दौरानप्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर लोगों कोफाइलेरिया रोग के बारे में जागरूक करेंगे साथ ही अपने सामने दवा खिलाएंगे और किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जाएगा।यह दवा आपको फाइलेरिया रोग से सुरक्षित रखेगी इसको खाना है फेंकना नहीं यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीश चंद्रा का |
सीएमओ ने कहा कि जनपद में लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डीईसी और अल्बेंडालोल की निर्धारित खुराक कोविड सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए खिलाई जाएगी । दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को यह दवाएं नहीं खिलाई जाएंगी।
बेक्टर बोर्न डिजीज के नोडल डॉ यू सी वर्मा ने बताया हाईड्रोसील हो जाना, हाथी पाँव हो जाना यानी पैरों में सूजन हो जाना , महिलाओ के स्तन में सूजन आ जाना यह सब फ़ाईलेरिया रोग के लक्षण हैं, फ़ाईलेरिया रोग मच्छरों द्वारा फैलता है । खासकर क्यूलैक्स मादा मच्छर के जरिए । जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया रोग से ग्रसित व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है फिर यह मच्छर रात के समय किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काट लेता है तो फाइलेरिया रोग के परजीवी रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया रोग से ग्रसित कर देते हैं। ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चलता है। इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है। इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है। फाइलेरिया के लक्षण नहीं दिखने पर भी इस दवा का सेवन करना जरूरी है।
जिला मलेरिया अधिकारी के पी द्विवेदी ने बताया कि फ़ाईलेरिया रोग प्रबंधन के लिए 2 वर्ष से ऊपर तथा 5 वर्ष से छोटे बच्चों को डी.ई.सी. की 1 टैबलेट और एल्वेंडाजोल की 1 टैबलेट दी जाएगी, एवं 5 वर्ष से ऊपर और 15 वर्ष से छोटे बच्चों को डी.ई.सी.की 2 टैबलेट व एल्वेंडाजोल की 1 टैबलेट तथा 15 वर्ष से ऊपर सभी व्यक्तियो को डी.ई.सी. की 3 टेबलेट व एल्वेंडाजोल की 1 टैबलेट दी जायेगी । डी.ई.सी. एवं अलबेन्डाजोल की टैबलेट को खाली पेट नहीं खाना चाहिए | यह दवाएं खाना खाने के बाद खानी है ऐसे व्यक्ति जो अधिक बीमार हो, गर्भवती एवं दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को फाइलेरिया की दवा नहीं खिलाई जाएगी।
डीएमओ ने कहा कि अभियान को सफल बनाने के लिए विभाग ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं| साथ ही सभी सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों से जल्द से जल्द कार्ययोजना तैयार करने को कहा है जिससे अभियान के दौरान कोई कमी न रह जाये |
फाइलेरिया के लक्षण :
-सामान्यतः तो इसके कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं।
-बुखार, बदन में खुजली तथा पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है।
-पैरों व हाथों में सूजन, हाथी पाँव और हाइड्रोसिल के रूप में भी यह समस्या सामने आती है।
फाइलेरिया से बचाव :
*मच्छरो से बचने के लिए मच्छर दानी का प्रयोग करें
*घर के आस-पास कूडे को इकठ्ठा न होने दें, कूडेदान का प्रयोग करे
*आसपास पानी न जमा होने दे
*गन्दे पानी में केरोसिन भी डाल दे
*चोट या घाव वाले स्थान को हमेशा साफ़ रखे
*पूरी बाजू का कपड़ा पहने