फर्रुखाबाद : 3 अप्रैल 2022 जिले को सन 2025 तक क्षय रोग से मुक्त करने के लिए टीबी चैम्पियन का सहयोग लिया जा रहा है| यह वह लोग हैं, जिन्होंने क्षय रोग को मात दी है और अब दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत का काम कर रहे हैं |यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ सुनील मल्होत्रा का |
डॉ मल्होत्रा ने बताया कि जिले में 18 लोग टीबी चैम्पियन के रूप में काम कर रहे हैं अगर किसी व्यक्ति में साधारण टीबी है और उसको इन चैम्पियन द्वारा टीबी यूनिट से इलाज कराया जाता है तो इलाज पूरा होने पर 1000 रूपये और एमडीआर टीबी से ग्रसित टीबी रोगी के इलाज पूरा होने पर पाँच हजार रुपये सरकार द्वारा दिए जाएंगे |
इन्हीं में से एक टीबी चैम्पियन हैं मनोज वर्मा जो बढपुर ब्लॉक के ग्राम जनैया सिठैया में अपने परिवार के साथ रहते हैं इनके परिवार में इनके पिता श्रीकृष्ण वर्मा, पत्नी सावित्री देवी, बेटा रवि और बेटी अनुराधा है|
मनोज बताते हैं कि मैं पेशे से किसान हूँ खेती कर अपने परिवार का पालन पोषण करता हूँ इस दौरान 2019 में मुझे बुखार, खांसी हो गई खांसी के साथ ही बलगम आने लगा कई जगह इलाज कराया पर आराम नहीं मिला तो घर बालों ने कहा कि सरकारी अस्पताल में दिखाओ, तो मैंने फतेहगढ़ में बने जिला क्षय रोग केंद्र में डॉ सुनील मल्होत्रा को दिखाया जहां पर मेरे बलगम की जाँच की गई तो मुझे पता चला कि मुझे टीबी हो गई है इस बीमारी का नाम सुनते ही मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई |
मनोज कहते हैं टीबी का नाम सुनते ही मेरे परिवार में मायूसी छा गई पर डॉ मल्होत्रा ने बताया कि यह रोग लाइलाज नहीं है तब जाकर मुझे यकीन हुआ मेरा सीएचसी बरौन पर बने टीबी यूनिट पर छह माह तक इलाज चला इस दौरान मेरे घर बालों ने मेरा मनोवल बढाया और मेरी देखभाल की मैं जल्द ही स्वस्थ हो गया |
मनोज कहते हैं कि जब तक मेरा इलाज चला मुझे सरकार द्वारा 500 रुपये प्रतिमाह मेरे पोषण के लिए दिए गए जिनको मैंने अपने खाने पर खर्च किया |
मनोज कहते हैं कि कोई भी मरीज बीच में टीबी की दवा न छोड़े, पूरे समय तक टीबी की दवा का सेवन करें ।
मनोज कहते हैं सीएचसी बरौन पर बने टीबी यूनिट पर तैनात सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाईजर कुलदीप मिश्र ने मुझे टीबी चैम्पियन बनने के लिए कहा मैं तैयार हो गया मेरे घर पर डाट्स केंद्र बना दिया गया | मैंने अब तक लगभग छह टीबी रोगियों का इलाज कराया जो अब स्वस्थ हैं |
कुलदीप मिश्र कहते हैं कि मनोज बहुत ही लगनशील हैं इन्होने खुद स्वस्थ होकर अब दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत का काम कर रहे हैं इन्होने अब तक कई टीबी रोगियों को खोजा और उनको दवा दिलवाई अब सभी स्वस्थ हैं |
इसी गांव के रहने वाले 50 वर्षीय मकसूदन लाल कहते हैं कि जब मुझे दो वर्ष पहले टीबी हुई तो मैंने मनोज से बात की। उनके साथ जाकर मैंने इलाज कराया। आज मैं मनोज की वजह से ही स्वस्थ हूं।