फर्रुखाबाद : बरसाती मौसम में संक्रामक रोगों का खतरा कई गुना बढ़ जाता हैं। जगह – जगह जलभराव से मच्छर पैदा होते हैं। इस समय थोड़ी सी लापरवाही सेहत पर भारी पड़ सकती है, इसलिए सचेत रहें। यदि आवश्यकता महसूस हो तो डाक्टर से मिलकर सलाह लेने में देर न करें | यह कहना हैं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सतीश चंद्रा का।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि मौसमी बीमारियों के साथ कोरोना के संक्रमण और अब डेंगू ने लोगों को असमंजस में डाल दिया है। सीएमओ ने बताया कि बरसाती मौसम में संक्रामक रोगों को लेकर अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। इन दिनों वायरल, मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया और टायफायड सहित कई प्रकार के बुखार की आशंका लगातार बनी रहती है। इसके साथ ही उल्टी-दस्त, भूख कम लगना, पीला पेशाब आना और पेट सम्बन्धी बीमारियां भी इस मौसम में प्रमुखता से होती हैं। ऐसे में शुरुआती चरण में ही रोगों के लक्षणों को गंभीरता से लें।
डेंगू से बचाव
बीमारी के लक्षण पाए जाने पर नजदीकी सरकारी अस्पताल में दिखाएं। सामान्य जांच में प्लेटलेट्स कम होने पर डेंगू की जांच कराएं। पूरी आस्तीन के कपड़े और मोजे पहनें,शरीर को ढककर रखें। डेंगू के मरीज को मच्छरदानी में रखें। बुखार उतारने के लिए तत्काल पैरासिटामाल टेबलेट दें या पानी की पट्टी का इस्तेमाल करें। घर के आस-पास पानी इकट्ठा न होने दें।पानी अगर इकट्ठा हो तो उसमें मिट्टी का तेल या जला मोबिल आयल डाल दें।
क्या न करें….
अप्रशिक्षित डॉक्टरों के चक्कर में पड़कर धन और समय बर्बाद न करें। अपने आप से मेडिकल स्टोर से खरीद तक दवा का सेवन न करेंं। बुखार में बहुत अधिक घबराहट होने पर लापरवाही न करें।
लक्षण ..
तेज बुखार के साथ बदन दर्द ,सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों में दर्द,महीन दाने या खराश, जी मिचलाना, उल्टी आना।
डेंगू के गंभीर लक्षण….
बुखार के साथ शरीर में लाल दाने निकल आते हैं। कुछ रोगियों में रक्त में प्लेटलेट की कमी के कारण नाक,मुंह,नाक, मल-मूत्र द्वारा एवं योनि से रक्तस्राव होने लगता है, जिसे डेंगू हीमरेजिक बुखार कहते हैं। इसके एक और प्रकार में रोगी शाँक में चला जाता है। इसे डेगूं शाँक सिन्ड्रोम कहा जाता हैं।
फर्रुखाबाद :संवाददाता धर्मवीर सिंह