फर्रुखाबाद 22 सितंबर 2022 भगवान न करे किसी के घर बीमारी आए। मैंने खुद देखा है कि लोगों के खेत, मकान और सोना-चांदी तक बिक गए। पूरी जमा पूंजी खर्च हो गई। खुशहाल परिवार पूरी तरह बिखर गया। इस बीच वर्ष 2018 में आयुष्मान योजना आई तो हर पात्र परिवार के लिए यह वरदान साबित हुई है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अवनीन्द्र कुमार का l उन्होंने बताया कि जिले में बीते चार साल में जिले में इस योजना के तहत लगभग 8400 लाभार्थियों ने चिकित्सीय लाभ उठाया।
आयुष्मान योजना के नोडल अधिकारी डॉ रंजन गौतम ने बताया कि चार वर्षों में जिले में लगभग 8400 लोगों ने इस योजना का लाभ उठाया है l अब तक 232527 लोगों के गोल्डन कार्ड बनाए जा चुके हैं l
डीपीसी डॉ अमित मिश्र ने बताया कि इस योजना के तहत जिले के 10 सरकारी अस्पताल और 12 निजी अस्पतालों का चयन किया गया है जिसमें मरीज इस योजना से लाभ उठा रहे हैं l साथ ही पड़ोसी जनपदों के मरीजों का भी योजना के तहत इलाज किया जा रहा है।
बुरे वक्त में मिला गोल्डन कार्ड का सहारा
केस-1 : खैराती खां मोहल्ले की रहने वाली तरुनुन्म कहती हैं कि मेरे पेट में काफी दिनों से दर्द रहता था लेकिन डॉ से दवा ले लेती तो बंद हो जाता था| लेकिन यह दोबारा फिर होने लगता था | इसके बाद जब अल्ट्रासाउंड कराया तो पता चला की मेरे पित्त की थैली में पथरी है जो विना आपरेशन के ठीक नहीं हो सकती है| तो मैंने शहर के निजी अस्पताल में दिखाया वहां लगभग 25 से 30 हजार का खर्च बताया गया जो मेरे बस की बात नहीं थी| हम लोग जरदोजी का काम करके अपने घर का खर्च जैसे तैसे चला रहे थे ऊपर से यह बीमारी |
तरुनुन्म कहती हैं कि मेरे पति मशकूर अली गोल्डन कार्ड के साथ मुझको मई 2019 में तिवारी नर्सिंगहोम लेकर गए वहां मेरा मुफ्त में आपरेशन भी हो गया और मुझ से कोई पैसा भी नहीं लगा अब मैं स्वस्थ हूँ और सरकार को धन्यवाद देना चाहती हूँ जिनके कारण इस विषम परिस्थिति में मेरा मुफ्त इलाज हो पाया |
केस 2 बढ़पुर ब्लॉक के गांव आवाजपुर की रहने वाली प्रीति कहती हैं कि मेरे पति अरुण मजदूरी करके हम सभी का पालन पोषण करते हैं l मेरे इस समय दो बच्चे हैं दूसरा बच्चा जब होने को था मैंने निजी अस्पताल में दिखाया तो वहां आपरेशन के लिए कहा गया मेरे पास इतने पैसे नहीं थे जो इलाज करा पाती मैंने गांव की आशा कार्यकर्ता से बात की उन्होंने कहा कि आपका गोल्डन कार्ड की वजह से मुफ्त में इलाज हो जायेगा मैं उनके साथ लोहिया अस्पताल में भर्ती हो गई मेरा 28 मार्च को आपरेशन हुआ मेरे बेटी हुई इससे पहले एक बेटा था यहां मैं 11 दिन भर्ती रही मुझ से की भी पैसा नहीं लिया गया l यह योजना हम गरीबों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं l
केस-3 : कायमगंज के त्यौरखास की रहने वाली 65 वर्षीय सुखरानी कहती हैं आज कल गरीबों की कहां कोई सुनने वाला है ऊपर से अगर बीमारी लग जाए तो कोई देखने वाला भी नहीं l मुझे काफ़ी दिनों से बुखार आ रहा था मैं अपना गोल्डन कार्ड लेकर कायमगंज के सरकारी अस्पताल में गई मेरी जांच हुई तो मुझे टीबी रोग निकला मेरा इस कार्ड से फ्री इलाज हुआ अब मैं सही हूं l