फर्रुखाबाद:क्षय रोग उन्मूलन में फर्रुखाबाद को मण्डल में मिला दूसरा स्थान

फर्रुखाबाद ,23  जून 2023 राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) में बेहतर योगदान के लिए फर्रुखाबाद  जिले को कानपुर मण्डल में दूसरा स्थान मिला है । यह रैंकिंग माह जनवरी से मई के बीच हुए टीबी नोटिफिकेशन समेत नौ बिंदुओं पर मूल्यांकन के बाद मिली है । यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ रंजन गौतम ने दी ।
 
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि मण्डल में फर्रुखाबाद जनपद कुल 82.7 स्कोर पाकर दूसरे साथन पर वहीं कानपुर देहात 83.8 स्कोर के साथ पहले व कानपुर नगर 78.4 अंक के साथ छठवें नंबर पर रहा । उन्होंने बताया की टीबी स्कोरिंग नौ बिंदुओं में प्रदर्शन के आधार पर की जाती है । इन बिंदुओं में टीबी नोटिफिकेशन, सीबीनॉट जांच, उपचार सुरक्षा दर, निक्षय पोषण योजना के तहत भुगतान, ड्रग रेसिस्टेंट टीबी उपचार, खर्चे, टीबी प्रिवेंटिव ट्रिटमेंट और एचआईवी मरीजों के लिए टीबी प्रिवेंटिव ट्रीट मेंट शामिल हैं ।
 
उन्होंने जिले के प्रदर्शन को और बेहतर बनाने और टीबी उन्मूलन  अभियान को सफल बनाने में सामुदायिक सहयोग की भूमिका को अहम बताया । उन्होंने आम जन से अपील किया कि घर या आस पड़ोस में किसी को दो सप्ताह से अधिक की खांसी आ रही है, शाम को बुखार चढ़ता है, पसीने के साथ बुखार होता है, बलगम में खून आ रहा है, तेजी से वजन घट रहा है और भूख भी नहीं लगती है तो वह टीबी का संभावित मरीज हो सकता है । ऐसे संभावित व्यक्तियों को जांच कराने में सहयोग कर टीबी के प्रसार को रोका जा सकता है ।यह जांच नजदीकी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर,  प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, नगरीय स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय और सिविल अस्पताल लिंजीगंज में की जा रही है । बलगम जांच में टीबी की पुष्टि न होने पर एक्सरे जांच से टीबी का पता लगाया जाता है । एक बार टीबी की पुष्टि हो जाने के बाद सीबीनॉट मशीन से जांच करा कर पता लगाया जाता है कि मरीज ड्रग रेसिस्टेंट टीबी से तो पीड़ित नहीं है । अगर डीआर टीबी नहीं है तो छह माह इलाज चलता है । एम डीआर टीबी की दशा में एक साल या उससे अधिक इलाज चलता है । दोनों ही स्थिति में मरीज ठीक हो जाता है।
 
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि एक बार टीबी मरीज नोटिफाई होकर जब निक्षय पोर्टल पर पंजीकृत कर लिया जाता है तो उसे कई योजनाओं का लाभ मिलता है । उसकी एचआईवी व मधुमेह की जांच कराई जाती है । इलाज चलने तक 500 रुपये प्रति माह की दर से पोषण के लिए खाते में पैसे भेजे जाते हैं । इसके अलावा जरूरतमंद मरीज को निक्षय मित्र गोद लेकर उसे पोषण पोटली व सम्पूर्ण इलाज तक दवा सेवन करने में सहयोग करते हैं । इससे उसे अतिरिक्त पोषण व मानसिक सम्बल मिलता है ।
 
डीपीसी सौरभ तिवारी ने बताया कि जनपद में जनवरी’23 से अब तक 1970 टीबी रोगी खोजे गए हैं और 2494 टीबी रोगियों का इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया की नये टीबी मरीज की सूचना देने वाले निजी चिकित्सकों और गैर सरकारी व्यक्तियों को भी पांच सौ रुपये खाते में देने का प्रावधान है । टीबी मरीजों के सम्पर्क में आने वाले लोगों की जांच करा कर टीबी न होने की दशा में भी टीबी प्रिवेंटिव ट्रिटमेंट (टीपीटी) के तहत छह माह तक बचाव की दवा खिलाई जाती है ।