फर्रुखाबाद,(द दस्तक 24 न्यूज़) 10अक्टूबर 2024 चूहे फसलों को बुवाई से लेकर अन्न भण्डारण तक किसी न किसी तरह से नुकसान पहुंचाते रहते है। इनके नियत्रण के लिए समय-समय पर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये जाते है। चूहे फसल के अलावा हमारे दैनिक उपयोग की वस्तुओं को कुतर कर क्षति ग्रस्त करते हैं इसके अलावा चूहे / छछूदर अनेक प्रकार के रोगों को फैलाने के लिए कारक का भी काम करते है, जो निग्नयत है:-
1-रोडेन्टस स्कव टाइफसः यह बीमारी चूहों के बालों व कानों में पाये जाने वाले पिस्सू से होती है। जो रकम टाइफस ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुषी नामक बैक्टीरिया के कारण फैलती है। यह संक्रमित लार्या माइटस कीट के काटने से इंसानों में फैलती है। इस सकमित कीट के काटने के 10 दिन के अन्दर लक्षण नजर आने लगते है। शरीर पर काटी हुए जगह पर चकत्ते बन जाते है और पपड़ी भी पड़ सकती है। रोगी को बुखार और ठंड लगने के साथ सिर दर्द, शरीर और मासपेसियों में दर्द की समस्या हो जाती है। रोग की गम्भीर स्थिति में अंगो के खराब होने और रक्तसाव की भी दिक्कत हो सकती है लक्षण प्रकट होते ही रोगी को तुरन्त चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
2-लेप्टोस्पायरोसिसः- लेप्टोस्पायरोसिस को ‘रेट फीवर’ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक जीवाणु संक्रमण है, जो लेप्टोस्पाइरा बैक्टीरिया के कारण होता है। यह जीवाणु पानी और गीले मैदान में पनपते है। जो रोडेट / चूहों को सकमित करते है और संकमित चूहे / छछूदर जहाँ पर भी मूत्र करते है और उस स्थान पर जिसे भी अन्य जीव का सम्पर्क होता है, वह भी संक्रमण का शिकार हो जाता है। संक्रमण एक संक्रमित जानवर के मूत्र से या मृत जानवर से संकमित ऊतक के माध्यम से फैल सकता है। यह वैक्टीरिया कटी त्वचा, मुंह, नाक या आँखे और दूषित पानी पीने से फैलता है इसके अलावा दूषित मिट्टी कीचड, जल भराय के पानी आदि के सम्पर्क में आने से इस बीमारी के फैलने की अधिक सम्भावना रहती है। बरसात के दिनों में यह रोग अधिक तेजी से फैलता है इस रोग के लक्षणों में ठंड लगने से तेज बुखार, सिरदर्द, बदनदर्द, लाल आँखें, भूख की कमी, उल्टी, दस्त आदि होते है। रोगी को लक्षण प्रतीत होते ही तुरन्त चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
अतः चूहे / छछेंदर हमारे जीवन को हर तरह से खतरे में डालते है। इनका नियन्त्रण करना नितान्त आवश्यक है। इसके लिए प्रत्येक कृषक / गैर कृषक को एक साथ मिलकर छः दिवसीय अभियान चलाकर चूहों
को नियंत्रित किया जा सकता है। प्रथम दिनः आवासीय घरों का निरीक्षण एवं बिलों को बन्द करते हुए चिन्हित करें या झण्डे लगायें
दूसरे दिन घर का निरीक्षण कर जो बिल बन्द हो वहाँ से झण्डे हटा दें और जहाँ पर बिल खुले पाये वहाँ पर चिन्ह लगे रहने दें। खुले बिल में एक भाग सरसों का तेल एवं 48 भाग भुने दाने का चारा विना जहर मिलाये और बिल में रखें।
तीसरे दिनः-बिलों का निरीक्षण कर बिना जहर का चारा पुनः रख दें।
चौथे दिन जिंक फास्फाइड 80 प्रतिशत की एक ग्राम मात्रा को एक ग्राम सरसों के तेल एवं 48 ग्राम भुने दाने के हिसाब से बनाये गये चारे को मिलाकर बिलों में रखे।
पाँचवे दिन बिलों का निरीक्षण करें एवं मरे हुए चूहों को एकत्र कर जमीन में गाढ दे। छठवें दिनः-बिलों को पुनः करें तथा अगले दिन यदि बिल खुले पाये जाये जो सप्ताहिक कार्यकम पुनः अपनाये।