फर्रुखाबाद, 24 मई 2023 बुधवार को विश्व सिज़ोफ्रेनिया दिवस के अवसर पर डॉ राममनोहर लोहिया पुरुष चिकित्सालय के जिरियाट्रिक वार्ड में भर्ती मरीजों के बीच प्रशिक्षु जीएनएम को पोस्टर और गोष्ठी के माध्यम से सिजोफ्रेनिया मानसिक बीमारी के बारे में जागरूक किया गया l
मानसिक स्वास्थ्य के नोडल अधिकारी डॉ दलवीर सिंह ने बताया कि बदलती लाइफस्टाइल के कारण आजकल लोग कई तरह की समस्याओं का शिकार हो रहे हैं l काम का बोझ और जीवनशैली में बदलाव हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं। यही वजह है कि आजकल लोग कई तरह की मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। तनाव और डिप्रेशन आज के समय में बहुत ही गंभीर समस्या बन चुकी है। आपके आसपास कई लोग विभिन्न मानसिक समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं। इन्हीं मानसिक विकारों में से एक सिजोफ्रेनिया भी बहुत ही गंभीर बीमारी है।
डॉ सिंह ने बताया कि अभी जिले के अस्पताल में कोई मनोचिकित्सक नहीं है हम लोग प्रयास कर रहे हैं कि जल्द ही मनोचिकित्सक की नियुक्ति हो जाए जिससे मानसिक विकार के रोगियों का इलाज किया जा सके l मनोवैज्ञानिक सामाजिक कार्यकर्ता दीप्ति यादव ने कहा कि विज्ञान की भाषा में कहें तो हमारे दिमाग में डोपामाइन नाम का एक न्यूरोट्रांसमीटर होता है, जो दिमाग और शरीर के बीच तालमेल बिठाता है। जब किसी कारणवश डोपामाइन का स्तर बढ़ जाता है तो इसे सिजोफ्रेनिया कहते हैं। अधिकतर देखने में आता है कि 15 से 25 वर्ष की अवस्था के लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं l साथ ही कहा कि 1000 में से 10 व्यक्ति सिजोफ्रेनिया से ग्रसित होते हैं l
दीप्ति बताती है कि सिज़ोफ्रेनिया के उपचार के लिए दवाओं के साथ सामाजिक और सामुदायिक सपोर्ट उपचार में प्रभावी साबित होता है। परिवार के सदस्यों का सपोर्ट इस रोग को बढ़ने से रोकने में बहुत उपयोगी साबित होता है।
इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता अखिलेश कुमार, तंबाकू निषेध सलाहकार अमित, कुष्ठ रोग काउंसलर पंकज शुक्ल, नर्सिंग लेक्चरर रमन, प्रतिष्ठा कटियार सहित प्रशिक्षु जीएनएम मौजूद रहीं l
इस बीमारी के मुख्य लक्षण –
उलझन,
अजीब चीजों का अनुभव ,
अकेले रहना,
अलग-अलग आवाजें सुनाई देना,
जीवन को लेकर निराशावादी महसूस करना ,शारीरिक गतिविधि में कमी और सुस्ती
बार-बार मिजाज बदलना , अवसाद के लक्षण
ऐसी बातें कहना जिनका वास्तविकता से कोई संबंध नही होता है l