(द दस्तक न्यूज़ 24 )आज जनपद न्यायालय कर्मचारी अपनी लंबित मांगों को पूरा कराने के लिए प्रदेश संघ के आहवान पर प्रतिज्ञा सभा करके आंदोलन किया। प्रतिज्ञा पत्र पर समस्त कर्मचारियों ने पूरे हस्ताक्षर किए एवं इसकी प्रतिलिपि प्रांतीय संघ को भेजी।
कर्मचारियों की माँग हैं कि न्यायिक कर्मियों के अंतर जनपदीय स्थानांतरण लंबे समय से लंबित हैं, न्यायिक कर्मियों को 2013 में वर्दी पहनने का शासनादेश न्याय अनुभाग से जारी हुआ लेकिन आज तक धनराशि का निर्धारण नहीं हो सका, विभागीय नियमावली में संविदा के पद न होने के बाद भी एफटीसी न्यायालयों में संविदा के पद सृजित किये गये, शेट्टी कमीशन की संस्तुतियों के विपरीत न्यायिक कर्मियों के पद और वेतनमान स्वीकृत किये गये, जनपद न्यायालयों में कर्मचारीगण के अर्जित अवकाश पर जाने पर उनका अवकाश स्वीकृत न कर उसे नियम विरुद्ध तरीके से लंबे समय लंबित रखा जाता है जिससे उस अवधि का अवकाश वेतन भुगतान विलंबित होता है और कर्मचारी को आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है। अवकाश की समयबद्ध स्वीकृति एवं विधि विरुद्ध वेतन रोके जाने हेतु माननीय न्यायालय से बार बार अनुरोध लेकिन कार्यवाही लंबित है, जिलों में विभिन्न समितियों / अधिकारियों के समक्ष लंबे समय तक कर्मचारीगण के सेवा संबंधी मामलों के तीव्र निस्तारण हेतु माननीय उच्च न्यायालय से अनुरोध किया जा रहा है, माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निर्देश भी दिये गये लेकिन जनपद न्यायालय में स्थिति जस की तस है एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का आवासीय कार्यालय पर स्थायी प्रतिबंध किया जाए और यह भी कहा
दीवानी न्यायालय कर्मचारी संघ फर्रुखाबाद के जिलाध्यक्ष ऋषि यादव एवं महासचिव दिनेश गुप्ता ने बताया कि आज जनपद न्यायालय फर्रुखाबाद के कर्मचारी व्यथित होकर (स्थान हनुमान मंदिर) के समक्ष प्रतिज्ञा सभा का आयोजन किया और ईश्वर से प्रार्थना की कि हमारी समस्याओं का तीव्र निस्तारण हों एवं हमारी माँगे फिर भी नहीं मानी जाती हैं तो जुलाई 2024 के प्रथम रविवार को कर्मचारीगण माननीय उच्च न्यायालय (स्थान हनुमान मंदिर) के ही समक्ष प्रार्थनासभा का आयोजन करेंगे और साथ ही साथ आंदोलन चरणबद्ध रूप से तेज ही होता जाएगा। उन्होंने बताया कि संघ जनपद न्यायालय कार्मिकों की समस्याओं पर माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद और उत्तर प्रदेश शासन द्वारा उपेक्षापूर्ण व्यवहार से कर्मचारी आहत हैं। माननीय मुख्य न्यायमूर्ति महोदय, माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद को प्रेषित पत्रों पर भी अब तक हम प्रतीक्षा में ही है।