फर्रुखाबाद, 23 अक्टूबर 2022 दीपावली रोशनी और खुशियों का त्योहार है सभी अपने परिवार के साथ बैठकर बेहतर समय बिताते हुए दिवाली मनाएं और पटाखों से दूरी बनाएं क्योंकि पटाखों का अत्यधिक इस्तेमाल पर्यावरण को तो दूषित करता ही है साथ में इससे निकलने वाले धुंए से परिवार के सदस्य बीमार भी हो सकते हैं यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अवनींद्र कुमार का उन्होंने बताया कि कोरोना अभी पूरी तरह से गया नहीं है इसलिए पटाखों से कोरोना,सांस संबंधी रोगियों को तो खतरा है ही, कोरोना से स्वस्थ हुए लोगों को भी पटाखों से निकलने वाले धुंए में जो केमिकल निकलते हैं वह उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। उन्होंने बताया कि विशेषकर बच्चे, बुजुर्ग दमा के मरीज, फेफड़ों रोग संबंधित मरीज दिवाली पर उस स्थान पर न बैठे जहां पटाखे चलाए जा रहे हों। सीएमओ ने बताया पटाखों के धुएं से बहुत ही खतरनाक केमिकल निकलते हैं। जो सांस के द्वारा फेफड़ों में पहुंचता है जिसके कारण फेफड़ों में सूजन, सांस लेने में दिक्कत, स्ट्रोक का खतरा, एलर्जी जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि पटाखे के धुएं से निकलने वाले केमिकल कॉपर- सांस लेने में परेशानी,कैडमियम- किडनी रोग व एनिमिया,लेड-अनिद्रा एवं चिड़चिड़ापन,मैग्नेशियम हिमोग्लोबीन को नुक़सान,सोडियम- त्वचा को नुकसान पहुंचाता है,नाइट्रेट व पटाखों की तेज आवाज से मानसिक बीमारी व डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है।
डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ अजय कुमार ने बताया कि पटाखों के धुएं से आंखें बुरी तरह से प्रभावित होती है जिसके कारण आंखों में जलन, एलर्जी व आंसू निकलने जैसी समस्याएं होती है।
उन्होंने बताया कि पटाखे चलाते समय असावधानियां न बरतें क्योंकि कभी-कभी चिंगारी आंख में चली जाती है तो आंख की रोशनी जाने का खतरा रहता है। हो सके तो पटाखे चलाते समय फेस शील्ड का प्रयोग करें व बच्चों को पटाखों से दूर रखें।
उन्होंने बताया कि अगर पटाखे चलाते समय धूंआ या चिंगारी आंख में चली जाए तो सबसे पहले पानी की पतली धार बनाकर लगभग 10 मिनट तक आंखों को धोते रहे और तुरंत चिकित्सक से सलाह लें।