फर्रुखाबाद-फाइलेरिया उन्मूलन के लिए ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को रुग्णता प्रबंधन पर दिया गया प्रशिक्षण:फाइलेरिया की दवा खाएं फेंके नहीं-सीएमओ


फर्रुखाबाद: फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को रुग्णता प्रबंधन पर शनिवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में प्रशिक्षण दिया गया| उन्हें फाइलेरिया प्रभावित मरीजों को अपने घर पर ही वाशिग और ड्राइंग करने का तरीका बताया गया। इस दौरान मौजूद फायलेरिया रोगियों को प्लास्टिक की बाल्टी, मग, साबुन, तौलिया तथा क्रैप बैंडेज दी। साथ ही उन्हें नियमित तौर पर व्यायाम करते रहने की सलाह दी गई
इस दौरान लगभग 50 फायलेरिया रोगी मौजूद रहे।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीश चंद्रा ने कहा कि फाइलेरिया रोग में अक्सर हाथ या पैर में बहुत ही ज़्यादा सूजन हो जाती है । इसलिए इस रोग को हाथी पांव भी कहते हैं। जिन व्यक्तियों के अंदर माइक्रो फायलेरिया के कीटाणु रहते है, उन्हें दवा सेवन करने पर कुछ प्रभाव जैसे- जी मचलाना, उल्टी आना, हल्का बुखार आना, चक्कर आना आदि हो सकता है। इससे घबराना नहीं चाहिए
सीएमओ ने कहा कि जब भी फाइलेरिया उन्मूलन अभियान चले और आपके घर पर टीम आये तो उससे दवा लेकर खानी है फेंकनी नहीं है यह दवा फाइलेरिया रोग से आपको बचा सकती है जिसको एक बार यह हो जाता है, उसका कोई भी इलाज नहीं है
जिला मलेरिया अधिकारी के पी दिवेदी ने बताया कि इस किट का वितरण सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से भी किया जायेगा जिस किसी को इस रोग की शिकायत हो वह सम्बंधित सीएचसी पर जाकर इस किट को प्राप्त कर सकता है जब भी किट लेने आयें अपना आधार कार्ड साथ लेकर आयें
साथ ही कहा कि इस समय लगभग 1243 लोग फाइलेरिया से ग्रसित हैं इस रोग से ग्रसित लोगों को अपनी साफ़ सफाई रखनी चाहिए और अगर पैरों में सूजन है तो पैरों के नीचे तकिया लगा कर रखें पैरों को अधिक देर तक लटकाएं नहीं हाइड्रोसील से ग्रसित मरीज भी फाइलेरिया के अंतर्गत आते हैं वह अपना आपरेशन डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में मुफ्त करा सकते हैं
साथ ही कहा कि यह बीमारी क्यूलैक्स मच्छर के काटने से फैलती है, इस मच्छर के पनपने में मल, नालियों और गड्ढों का गंदा पानी मददगार होता है , इस मच्छर के लार्वा पानी में टेढ़े होकर तैरते रहते हैं। क्यूलैक्स मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है तो वह फाइलेरिया के छोटे कृमि का लार्वा उसके अंदर पहुँचा देता है। संक्रमण पैदा करने वाले लार्वा के रुप में इनका विकास 10 से 15 दिनों के अंदर होता है। इस अवस्था में मच्छर बीमारी पैदा करने वाला होता है। इस तरह यह चक्र चलता रहता है।
फाइलेरिया के लक्षण

  1. एक या दोनों हाथ व पैरों में (ज़्यादातर पैरों में) सूजन
  2. कॅपकॅपी के साथ बुखार आना
  3. पुरूषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसिल) होना
  4. पैरों व हाथों की लसिका वाहिकाएं लाल हो जाती हैं
    मोहम्दाबाद ब्लॉक के खिमशेपुर के रहने वाले 55 वर्षीय विश्राम सिंह कहते हैं कि मुझे चार पांच माह पहले फाइलेरिया की शिकायत हुई थी काफी निजी चिकित्सकों से इलाज कराया पर कोई फायदा नहीं मिला तब जाकर मलेरिया कार्यालय से मुझे दवा मिली थोडा-थोडा आराम है पहले से पैरों की सूजन कम हुई है
    इस दौरान अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी उत्तम चन्द्र, विश्व स्वास्थ्य संगठन से एसएमओ डॉ नित्यानंद ठाकुर, पाथ संस्था के रीजनल एनटीडी आफीसर डॉ शाश्वत त्रिपाठी,रणविजय प्रताप सिंह, सभी सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी और बीसीपीएम मौजूद रहे