फर्रुखाबाद: जिले में 30 जून तक मलेरिया निरोधी माह मनाया जा रहा है | इस दौरान लोगों को मलेरिया रोग के प्रति जागरुक करने के साथ ही लार्वा निरोधक दवा का छिड़काव भी किया जा रहा है l यह कहना है जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) के पी दुबे का l
डीएमओ ने बताया कि चार से आठ घंटे के चक्र में बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, ठंड लगना, पसीना आना और मिचली व उल्टी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत आशा कार्यकर्ता या स्वास्थ्यकर्मी से संपर्क करें। उनकी मदद से प्रशिक्षित चिकित्सक को दिखा कर उनकी सलाह पर मलेरिया की जांच कराई जानी चाहिए ।
इसी क्रम में मलेरिया निरोधी माह के अंर्तगत फतेहगढ़ में बनखड़िया में प्रभारी सहायक मलेरिया अधिकारी नरजीत कटियार की अगुवाई में स्वास्थ्य टीम ने लोगों को मलेरिया के प्रति जागरुक कर लार्वा निरोधक दवा का छिड़काव किया | इस दौरान दो जगह लार्वा मिला, जिसको मौके पर ही नष्ट किया गया l
इस दौरान नरजीत ने बताया कि मलेरिया के लक्षण दिखने पर तुरंत जांच और इलाज मलेरिया से बचाव का बेहतर उपाय है । समय से जांच व इलाज न होने से मलेरिया गंभीर रूप ले सकता है । मलेरिया की दवा बीच में नहीं छोड़नी है। लक्षण समाप्त होने पर भी मलेरिया का पूरा इलाज करवाना है। जिला स्तरीय अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएची), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) पर मलेरिया की जांच निःशुल्क है ।
उन्होंने बताया कि मलेरिया में परजीवी संक्रमण और लाल रक्तकोशिकाओं के नष्ट होने के कारण थकान की वजह से एनीमिया, दौरा या चेतना हानि की स्थिति बन जाती है। सेरिब्रल मलेरिया में परजीवी रक्त के जरिये मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं और यह शरीर के अन्य अंगों में भी पहुंच कर हानि पहुंचाते हैं । गर्भावस्था में मलेरिया का होना गर्भवती के साथ-साथ भ्रूण और नवजात के लिए भी दिक्कत वाला है । यह बीमारी मादा मच्छर एनोफीलिज के काटने के कारण होती है । अगर मलेरिया का संक्रामक मच्छर काट लेता है तो स्वस्थ मनुष्य में 10 से 14 दिन बाद यह रोग विकसित होता है।
नरजीत ने बताया कि पिछले वर्ष 2021 में 28316 लोगों के रक्त के नमूने लिए गए थे जिनमें से 155 लोग मलेरिया से ग्रसित मिले और इस वर्ष जनवरी 2022 से अब तक 18995 लोगों की जॉच में 10 लोग मलेरिया से ग्रसित मिले जिनका समुचित इलाज किया गया और सभी लोग स्वस्थ हो गए l
वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक अवधेश कुमार ने बताया कि मलेरिया का मच्छर सामान्यतः शाम और सुबह के बीच काटता है । अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को मलेरिया का संक्रमित मच्छर काटता है तो वह स्वयं तो संक्रमित होगा ही, दूसरे को भी संक्रमित कर सकता है । मच्छर के काटने के बाद इसका परजीवी लीवर के जरिये लाल रक्त कोशिकाओं तक पहुंचता है और संक्रमण पूरे शरीर में फैलने लगता है और यह रक्त कोशिकाओं को तोड़ने लगता है । संक्रमित रक्त कोशिकाएं हर 48 से 72 घंटे में फटती रहती हैं और जब भी फटती हैं बुखार, ठंड लगना और पसीना आने जैसे लक्षण भी सामने आते हैं । इसके साथ ही कहा कि गर्भवती को मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में नहीं जाना चाहिए क्योंकि उनमें मलेरिया होने से जटिलताएं बढ़ जाती हैं l
वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक ने बस्ती के लोगों को जागरूक करते हुए बताया कि मलेरिया से बचाव का सबसे बेहतर उपाय है कि पूरी बांह के कपड़े पहनें , मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, मच्छररोधी क्रीम लगाएं, घर में मच्छररोधी अगरबत्ती का इस्तेमाल करें । घरों में कीटनाशकों का छिड़काव करें, खुली नालियों में मिट्टी का तेल डालें ताकि मच्छरों के लार्वा न पनपने पाएं, मच्छरों के काटने के समय शाम व रात को खिड़कियों के दरवाजे बंद कर लें। इन उपायों के बावजूद अगर लक्षण दिखें तो मलेरिया की जांच करवा कर इलाज करवाएं ।
इस दौरान मलेरिया निरीक्षक संगीता सहित अन्य लोग मौजूद रहे |