फर्रुखाबाद: अंबानी परिवार धन कुबेर है,अपनी लुटेरी छबि को बदलने हेतु सभी राजनीतिज्ञों को शादी में अतिथि रूप में बुलाया

(द दस्तक 24 न्यूज़), हकीकत में अंबानी परिवार इन सभी का धन कुबेर है। धनकुबेर ने अपनी लुटेरी छबि को बदलने हेतु ही इन सभी राजनीतिज्ञों को बेटे की शादी में अतिथ के रूप में आशीर्वाद हेतु बुलाया ताकि फोटोग्राफी हो सके और सनद रहे तथा भविष्य में भी लूट/सहयोग का खेल चलता रहे। अब इस फंक्शन के बाद यह राजनीतिज्ञ लोग/इनकी पार्टियां अंबानियों पर कोई इल्जाम न लगा सकें। राजनीतिज्ञों की मदद से BSNL के संसाधनों को लूट कर व उसे बर्बाद कर अपना कारोबार बढाया। फ्री में सिम और डाटा देकर रिचार्ज को लगातार महंगा किया। अभी हाल ही में इन्होंने मोबाइल रिचार्ज बढाया, फिर सभी कंपनियों ने बढा दिया, इस तरह यह लोग आम जनता को लगातार लूटते रहें और यह राजनीतिज्ञ लोग/राजनीतिक पार्टियां भी इन लोगों से अपनापन/घनिष्ठ परिवारिक संबंधों के चलते कोई भी विरोध दर्ज न कर सकें । निश्चित ही यह राजनीतिज्ञों का दोहरा चरित्र है ।  जनता को यह सब समझना चाहिए कि महंगाई और बेरोजगारी के साथ ही हजारों हजार एकड भूमि/संसाधनों की लूट में और लूट कराने में यह सब राजनीतिक पार्टियां भी बराबर की साझीदार हैं। भविष्य में यह धनकुबेर इन्हीं राजनीतिक दलों के जरिए और भी लूट करते रहेंगे और दोनों ही बराबर मालामाल होते रहेंगे तथा देश और जनता कंगाल होती रहेगी।  नकली समाजवाद वैसे तो पहले भी कई बार नंगा हुआ है और आज एक बार फिर से नंगा हो गया है। अब हम कह सकते हैं कि समाजवादियों की पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी में कोई भी अंतर नहीं है। जनता को यह सब तथ्य समझने होंगे और उसके हिसाब से ही इन्हें अपना हितैषी अथवा लुटेरों का ही संगी साथी समझना होगा। इस फंक्शन में केवल गांधी परिवार शामिल नहीं हुआ तथा बहिन मायावती को शायद निमंत्रण ही नहीं दिया गया, उन्हें तो कभी चंदा भी नहीं दिया गया, वैसे वह तो शुरू से ही इन सभी से दूर हैं। गांधी परिवार ने यह साबित कर दिया है कि वह किसी भी धनकुबेर के हाथों में खेलने वाले नहीं हैं और यह भी साबित हो गया है कि कांग्रेस पार्टी ही आम जनता के लिए काम करने व उसके हितों/हक हकूकों की रक्षा करने वाली एक राष्ट्रीय जनहितैषी पार्टी है ।  इस फंकशन से देश में संसाधनों को लूटने वाले लुटेरों और उनके मददगारों एवं महंगाई बढा कर जनता की कमर तोड़ कर उसको कंगाल बनाने वालों में तथा असहाय गरीब जनता के बीच में अंतर स्पष्ट हो गया है ।  यह कहना है सूबेदार राकेश कुमार सागर, सेवानिवृत्त का।