पीलीभीत के कलीनगर तहसील में गरजे किसान, बोले- ग्रामीणों के लिए काल बनता जा रहा पीलीभीत टाइगर रिजर्व

पीलीभीत जिले में जंगल से बाहर बाघों की लगातार मौजूदगी से बढ़ रही परेशानी को लेकर अखिल भारतीय किसान महासभा की ओर से सोमवार को तहसील परिसर में धरना दिया गया। पीटीआर के विरोध में नारेबाजी करने के बाद कार्यकर्ताओं ने एसडीएम को संबोधित ज्ञापन नायब तहसीलदार अक्षय यादव को सौंपा।

अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश सह सचिव अफरोज आलम व देवाशीष ने ज्ञापन देकर बताया कि पीलीभीत के जंगल को जल्दबाजी और किसानों की सुरक्षा के उपाय किए बगैर ही टाइगर रिजर्व का दर्जा दे दिया गया। ग्रामीणों की सुरक्षा के कोई उपाय नहीं किए गए। अब यह पीटीआर (पीलीभीत टाइगर रिजर्व) जंगल किनारे बसे लोगों के लिए खतरा बन चुका है। ये जंगल अब जानवरों के लिए कम पड़ रहा है जिससे जानवर जंगल से बाहर आ रहे हैं।

तीन लोगों को मार चुका है बाघ
यही कारण है कि इंसानों पर बाघ के हमले लगातार बढ़ रहे हैं। कलीनगर तहसील क्षेत्र के गांव जमुनियां व रानीगंज में बीते दो-तीन माह में बाघ तीन लोगों को मार चुका है। इसके अलावा पिपरिया संतोष, डगा, सुखदासपुर समेत करीब छह से ज्यादा गांवों में बाघों की लगातार मौजूदगी देखी जा रही है। कार्यकर्ताओं ने इस बात को लेकर भी नाराजगी जताई मुख्यमंत्री मुस्तफाबाद आए। यहां बाघ के हमले में मारे गए किसान के परिवार वालों से मिलने नहीं गए।

इलाके में है दहशत
कार्यकर्ताओं का कहना है कि बाघ की चहलकदमी के कारण किसान खेतों में जाने से डर रहे हैं। वन्यजीवों को रोकने में वन विभाग व जिला प्रशासन कोई इंतजाम नहीं कर रहा। जंगल सीमा पर तारफेसिंग के साथ आबादी के निकट घूम रहे बाघों को पकड़ने की मांग की गई। बाघ हमले में मरने वालों के परिजन को दस लाख रुपये का मुआवजा देने की बात कही। लेकिन कुछ नहीं हुआ। एक-एक करके लोग बाघ के हमले से मर रहे हैं लेकिन पीटीआर व प्रशासनिक अधिकारी खामोश हैं।