किसान भाई ग्रीष्मकालीन मूंगफली की करते रहें देखभाल : डॉ. अभिमन्यु यादव (फसल सुरक्षा वैज्ञानिक)

किसान भाइयों अपने क्षेत्र में ग्रीष्मकालीन मूंगफली की खेती से अच्छा लाभ प्राप्त होता है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप अपने संसाधनों के अनुरूप स्वस्थ एवं गुणवत्तापूर्ण बीज को उपचारित करके समय से उन्नत तकनीकी अपनाकर बुवाई कर दी होगी। अब खड़ी फसल में महत्वपूर्ण क्रियाकलापों को निम्नानुसार संपादित करें।

ग्रीष्मकालीन मूंगफली में निकाई – गुड़ाई एवं खरपतवार प्रबंधन: मूंगफली में बुवाई के 15 से 20 दिन के बाद पहली निकाई – गुड़ाई एवं बुवाई के 35 दिन बाद जिप्सम की अवशेष 150 किलोग्राम मात्रा का बुरकाव करके दूसरी निकाई – गुड़ाई करें। खूंटियां (पेगिंग व धागे) बनते समय निकाई – गुड़ाई नहीं करनी चाहिए। यदि निराई गुड़ाई के बावजूद खरपतवारों का प्रबंधन न हुआ हो तो रासायनिक दवाइयां जैसे इमेंजीथाइपर की 750 मी. ली. मात्रा अथवा क्विजालीफॉप इथाइल 5 प्रतिशत ईसी की 1 लीटर मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।

मूंगफली में सिंचाई प्रबंधन: ग्रीष्मकालीन मूंगफली की प्रजातियों में 30 दिन के बाद फूल आने प्रारंभ हो जाते हैं इसलिए दूसरी सिंचाई 35 दिन की फसल होने पर करें। 45 से 50 दिन बाद खूंटी बनने लगती है। अतः इस अवस्था में नमी की उचित व्यवस्था हेतु 50 से 55 दिन बाद तीसरी सिंचाई करें। तीसरी सिंचाई गहरी करें तीसरी सिंचाई गहरी करना चाहिए क्योंकि इस समय खूंटी भूमि में गड़ने लगती हैं तथा फलियां बनने लगती हैं। चौथी सिंचाई 70 से 75 दिन के बाद फलियों में दाना भरते समय करना चाहिए। इस प्रकार भरपूर उपज लेने के लिए चार सिंचाइयां देना आवश्यक है।

फसल सुरक्षा:लगातार एक ही खेत में मूंगफली की बुवाई करने से ड्राई रूट राट के अलावा अन्य फफूंद जनित कई बीमारियां लगती हैं जिनके कारण पौधे जमीन की सतह से काले होकर सूख जाते हैं अथवा जड़े सूख जाती हैं। इनके प्रबंधन हेतु 4 ग्राम ट्राइकोडरमा पाउडर से प्रति किलोग्राम बीज उपचारित करके बुवाई करना चाहिए यदि खड़ी फसल में ऐसी कोई समस्या दिख रही है तो कार्बेंडाजिम की 1 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

दीमक एवं फली बेधक कीट समस्या:ग्रीष्मकालीन मूंगफली में सबसे ज्यादा नुकसान दीमक एवं फली बेधक कीट से होता है। दीमक सूखे की स्थिति में जड़ों तथा फलियों को काटती है। जड़ कटने से पौधे सूख जाते हैं। यह फलियों को खोखला करके अंदर दाने के स्थान पर मिट्टी भर देती है। फली बेधक कीट भी फलियों के दाने को खा कर उसे खोखला बना देते हैं।
दीमक एवं फली बेधक कीट की रोकथाम: सूखे फसल अवशेष खेत में न रखें। हरी खादो को अच्छी तरह से सड़ाएं एवं पूर्णतः सड़ी हुई कंपोस्ट खाद का ही प्रयोग करें। दीमक एवं फली बेधक कीट से बचाने के लिये 3 से 4 ली0 क्लोरपायरीफॉस (20 ईसी) अथवा क्यूनालफॉस (25 ईसी) प्रति हे0 पलेवा व सिंचाई के पानी के साथ खेत में प्रवाहित करना चाहिए।
पत्ती लपेटक, पत्ती सुरंगक, पत्ती खाने वाले एवं जैसिड कीट के प्रबंधन हेतु 4 से 5 प्रतिशत नीम पत्ती के सत या नीम बीज गिरी के सत का छिड़काव करें। समस्या की अधिक उग्रता पर इमामैक्टिन बेंजोएट 5 डब्ल्यूजी 1ग्राम 2 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें या टा्इट्राइजोफॉस (40 ईसी) की 1 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से आवश्यकतानुसार घोल बनाकर छिड़काव करें ।

खुदाई, सुखाई व भण्डारण: मूंगफली की खुदाई तभी करें जब फलियों के छिलके के ऊपर नसें उभर आएं, भीतरी भाग कत्थई रंग का हो जाए और मूंगफली का दाना गुलाबी हो जाए। ग्रीष्मकालीन मूंगफली की खेती में फलियों को सुखाना एक महत्वपूर्ण कड़ी है। फलियों की सुखाई पेड़ की छाया में करें। फलियों को सुखाई तेज धूप में न करें तेज धूप में सुखाई गई मूंगफली के दानों का जमाव कम हो जाता है एवं मूंगफली को खाने में कड़वाहट आने लगती है। छाया का अभाव हो तो मूंगफली की तुडाई 4:00 बजे के बाद हल्की धूप होने की दशा में करें । फलियों को अच्छी तरह से छाया में सुखाकर भंडारण करें।

ग्रीष्मकालीन मूंगफली में अधिक लाभ हेतु प्रभावी बिंद :

  1. लंबी अवधि वाली प्रजातियों की बुवाई कदापि न करें ।
  2. समय से बुवाई करें एवं बीज दर तथा दूरी पर विशेष ध्यान दें ।
  3. संस्तुति खादों के साथ जिप्सम का प्रयोग अवश्य करें।
  4. खूटियां बनते समय एवं फली में दाना भरते समय सिंचाई अवश्य करें ।
  5. पकने की निर्धारित समय के अंदर 90 से 100 दिन में खुदाई अवश्य कर लें।
  6. खुदाई के समय मूंगफली के पौधे खेत में सीधे रखें तथा फलियों को छाया में सुखाएं।
  7. ग्रीष्मकालीन मूंगफली के बीज को यदि खरीफ में बुवाई करते हैं तो शत प्रतिशत जमाव होता है और भरपूर उपज मिलती है।

लेखक : डॉ. अभिमन्यु यादव (फसल सुरक्षा वैज्ञानिक)
कृषि विज्ञान केंद्र, फर्रुखाबाद, कृषि विश्व विद्यालय कानपुर

पत्रकार: अजीत शाक्य फर्रुखाबाद