कंगना रनोट को एक आर्टिस्ट के तौर काफी पसंद करते हैं इमरान हाशमी

इमरान हाशमी ने कहा कि वो कंगना रनोट को एक आर्टिस्ट के तौर काफी पसंद करते हैं, लेकिन उनका यह कह देना कि इंडस्ट्री में सभी ड्रग्स लेते हैं, यह सही नहीं है। इमरान ने कहा कि कंगना को फिल्म गैंगस्टर में उनके मुकाबले अहम रोल मिला था। जबकि कंगना उस वक्त इंडस्ट्री में नई आई थीं, इसलिए नेपोटिज्म वाली बात करना भी अनुचित है।
इमरान ने अपने सीरियल किसर वाली इमेज पर भी बात की। उन्होंने कहा कि सीरियल किसर वाली इमेज की जानबूझकर मार्केटिंग की गई थी। इससे उनकी फिल्मों को फायदा भी पहुंचा था। हालांकि समय के साथ इससे नुकसान भी हुआ।
मौनी राय ने कहा कि जब वो टीवी इंडस्ट्री का हिस्सा थीं, तो उन्हें ज्यादा तवज्जो नहीं मिलती थी। ब्रह्मास्त्र में काम करने के बाद उन्हें इंडस्ट्री की तरफ से अहमियत मिलने लगी।।
कंगना रनोट आए दिन नेपोटिज्म पर बोलती आई हैं। सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद उन्होंने इस मुद्दे को खूब उठाया। वो आपकी को-स्टार भी रह चुकी हैं। उनके बारे में क्या कहना चाहेंगे? जवाब में इमरान ने कहा, ‘कंगना को एक आर्टिस्ट के तौर पर काफी पसंद करता हूं। हो सकता है कि उनके कुछ अलग अनुभव रहे हों। मैंने उनके साथ फिल्म गैंगस्टर में काम किया था।
उस फिल्म में मेरे से ज्यादा अहम रोल उन्हें मिला था। इस हिसाब से उन्हें उस वक्त ही अच्छा एक्सपोजर मिल गया था। इसलिए मुझे नहीं लगता है कि यहां सिर्फ नेपोटिज्म वालों को ही मौके मिलते हैं। हालांकि कंगना की अपनी एक सोच हो सकती है, लेकिन पूरी इंडस्ट्री को एक कटघरे में खड़ा करना सही नहीं है। इंडस्ट्री में सिर्फ कुछ ही लोग होंगे जो ड्रग्स लेते होंगे। पूरी इंडस्ट्री को ड्रगी कह देना गलत है।’इस मुद्दे पर राजीव खंडेलवाल ने कहा, ’सुशांत के जाने का दुख हम सबको है, लेकिन उस वक्त इस घटना को एक राजनीतिक रंग दे दिया गया था। किसी भी चीज में अगर पॉलिटिक्स होने लगती है, तो मामला कुछ और ही हो जाता है। मेरे आस-पास किसी ने नहीं कहा कि वे फिल्में नहीं देखेंगे।
किसी ने नहीं कहा कि वो फिल्म इंडस्ट्री का बायकॉट करेंगे। बिजनेस पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा था। फिल्मों ने उस वक्त भी अच्छा बिजनेस किया। उस वक्त जो फिल्में नहीं चलीं, उसके पीछे कारण सिर्फ इतना था कि उनका कंटेंट अच्छा नहीं था।’
इमरान हाशमी का नाम सुनते ही वो सीरियल किसर वाली इमेज सामने आती है। जबकि इन्होंने व्हाई चीट इंडिया, शंघाई और टाइगर-3 जैसी फिल्मों में संजीदा रोल भी किया है। इसे लेकर इमरान क्या कहते हैं। उन्होंने कहा, ‘सीरियल किसर वाली इमेज पहले थी, अब नहीं है। मेरी इमेज को मार्केटिंग के जरिए ऐसा बना दिया गया था। मैं इसे गलत भी हीं मानता, क्योंकि इससे मेरी फिल्मों को फायदा पहुंच रहा था।
दिक्कत तब शुरू हुई जब मैंने आवारापन जैसी फिल्में करनी शुरू कीं। यह मेरी अब तक की बेस्ट फिल्म है। लोग इसे आज भी काफी पसंद करते हैं। हालांकि उस वक्त यह फिल्म नहीं चल पाई। कारण यही था कि लोग मुझे उस रोल में एक्सेप्ट ही नहीं कर पाए। शायद वहां मेरी सीरियल किसर वाली इमेज ने फिल्म को नुकसान पहुंचा दिया।
मैंने समय के साथ अपने आप को बदलना चाहा तो लोगों ने कहा कि हमें पुराना इमरान हाशमी दोबारा चाहिए। हालांकि अब मुझे अलग-अलग किरदार निभाने हैं। मैं पुराने ढर्रे पर दोबारा नहीं आ सकता।’
सिनेमा धंधा नहीं धर्म है। सीरीज शो टाइम की इस टैगलाइन के बारे में इमरान हाशमी क्या सोचते हैं? उन्होंने कहा, ‘‘शुरुआती दौर में सिनेमा में काम करना एक धंधे की तरह ही था। यह बस पैसा कमाने का जरिया था। समय के साथ फिल्मों में काम करना धर्म बन गया।
टीवी एक्टर्स के लिए कहा जाता है कि वो फिल्मों में ज्यादा दिन नहीं चलते। गिनती के एक-दो नाम छोड़ दिए जाएं तो कोई भी टीवी एक्टर बड़ा मुकाम नहीं हासिल कर पाया। इस पर राजीव खंडेलवाल ने कहा, ‘मैंने यह सब बहुत फेस किया है। जब बड़े पर्दे के एक्टर्स टीवी का रुख करते हैं और उनके शोज नहीं चलते तो कोई सवाल नहीं उठाता।
वहीं जब टीवी एक्टर्स बड़े पर्दे का रुख करते हैं और असफल हो जाते हैं तब हंगामा होने लगता है। हमें दोनों स्थिति पर विचार करना चाहिए। हालांकि अब बहुत कुछ चेंज हो गया है। अब प्रोड्यूसर या डायरेक्टर को आपके टैलेंट से मतलब होता है। कोई यह नहीं पूछता कि आप कहां से आए हैं।’
मौनी राय काफी हद तक इस बात पर सहमत हैं कि फिल्मों में काम करने के बाद टीवी एक्टर्स को ज्यादा सम्मान मिलता है। उन्होंने कहा, ‘मैंने महादेव और नागिन जैसे बड़े शोज में काम किया था। हालांकि मुझे ऐसा फील हुआ कि ब्रह्मास्त्र में काम करने के बाद मुझे ज्यादा इज्जत मिलने लगी। यह देख कर थोड़ा बुरा भी लगता है।
टीवी इंडस्ट्री मेरे लिए एक घर की तरह है। टीवी ने ही मुझे सब कुछ दिया है। अभी दो-तीन साल पहले तक मुझे कास्टिंग डायरेक्टर सिर्फ यह कहकर रिजेक्ट कर देते थे कि आपने बहुत सारे टीवी सीरियल्स में काम किया है, आप फिल्मों के लिए सूटेबल नहीं हैं।
मुझे लगता है कि टीवी में काम करने से फिल्मों में एक्ट करना आसान हो जाता है। सीरियल्स की शूटिंग के दौरान 15-20 सीन एक-एक दिन में करने होते हैं। इससे एक्टर्स काफी हद तक फिल्मों और ओटीटी शोज में काम करने के लिए निपुण हो जाते हैं। मृणाल ठाकुर और राधिका आप्टे को देख लीजिए। हाल के सालों में इन्होंने टीवी से आकर अपने लिए यहां अलग मुकाम बना लिया है।’
श्रेया सरन ने कहा कि एक्ट्रेसेस से पूछा जाता है कि वो बच्चों को पालने के साथ ही फिल्में में काम करना कैसे मैनेज कर पाती हैं। यह बहुत अजीब बात लगती है। श्रेया ने कहा- पहले समय में शर्मिला टैगोर जैसी बड़ी एक्ट्रेस फिल्मों में काम करने के साथ ही बच्चों को भी पाल लेती थीं। उस वक्त ऐसे सवाल नहीं पूछे जाते थे। क्या किसी मेल एक्टर से यह सवाल पूछा जाता है कि वो फादरहुड के साथ ही काम भी कैसे कर लेते हैं।
अंत में हमने पूरी स्टारकास्ट से सवाल किया कि अगर उन्हें इंडस्ट्री में कुछ बदलाव करने हों, तो वो क्या होगा? जवाब में राजीव खंडेलवाल ने कहा- कलाकार चाहे छोटा हो या बड़ा, सबको एक तरह का ट्रीटमेंट मिलना चाहिए। हम देखते हैं कि कोई स्टार बड़ा है तो उसके लिए अलग से अरेंजमेंट किए जाते हैं। छोटे कलाकारों को साइड कर दिया जाता है। ऐसा नहीं होना चाहिए, सभी लोग अपना काम ही करने आते हैं। फिल्म के सेट पर मौजूद हर शख्स अपने-अपने एरिया में बेस्ट है, इसलिए सभी के साथ एक जैसा व्यवहार होना चाहिए।
श्रेया सरन ने कहा- मुझे लगता है कि फिल्मों के लिए स्क्रीन टेस्ट में ज्यादा से ज्यादा लोगों को मौके मिलने चाहिए। इंडस्ट्री में आना हर किसी का सपना होता है। मैं चाहती हूं कि ज्यादा से ज्यादा लोग लुक टेस्ट में भाग लें ताकि उन्हें ज्यादा मौके मिलें।
महिमा मकवाना ने कहा, ‘मुझे लगता है कि लोगों को अपने अंदर संवेदना पैदा करनी चाहिए। अपने अंदर दयाभाव लाना चाहिए। छोटे-बड़े सबके साथ अच्छे से पेश आना चाहिए।
इमरान हाशमी ने कहा, ‘मैं चाहूंगा कि कुछ लोग अनुशासित हो जाएं। सेट पर समय से पहुंचने की कोशिश करें। सबके समय का ध्यान रखें।