उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में सहकारी बैंक करहल में गबन करने वाले कर्मचारियों को बैंक की प्रबंध कमेटी ने अभयदान दे दिया। पहले जहां लगातार कार्रवाई टाली जाती रही वहीं अब केवल वेतन वृद्धियां रोककर दोनों कर्मचारियों पर कार्रवाई समाप्त कर दी गई। इस कार्रवाई की बैंक कर्मचारी और लोगों के बीच चर्चा है। आखिर गबन करने वालों को छोड़कर बैंक की प्रबंध कमेटी क्या संदेश देना चाहती है।
जिला सहकारी बैंक की करहल शाखा में एक साल पहले खातों से धनराशि का गबन हुआ था। मामले की जांच उप महाप्रबंधक ओमवीर सिंह ने की थी। इसमें 16.40 लाख रुपये का गबन सामने आया था। साथ ही गबन के लिए तत्कालीन शाखा प्रबंधक अनुराग यादव, कैशियर मोहम्मद आमिर और लिपिक आरती को दोषी पाया गया था।
मामले में आमिर जहां पहले से ही निलंबित चल रहा था तो वहीं बाद में अनुराग यादव को भी निलंबित कर दिया गया, लेकिन आरती पर कोई कार्रवाई नहीं हुआ। बाद में बैंक के कर्मचारी अनुराग और आरती पर कार्रवाई करने के लिए प्रबंध कमेटी के सामने रखने का निर्णय लिया गया था। दो बार बैंक प्रबंध कमेटी की बैठक में कार्रवाई टाल दी गई।
वहीं मंगलवार को एक बार फिर प्रबंध कमेटी की बैठक हुई। इसमें फिर से कार्रवाई का मामला रखा गया। लेकिन इस बार अध्यक्ष नरेंद्र सिंह राठौर की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने दोनों कर्मचारियों को अभयदान दे दिया। दरअसल कमेटी ने केवल कुछ वेतनवृद्धियां रोकते हुए कार्रवाई समाप्त कर दी।
इससे साफ हो गया कि बैंक में गबन करने वालों पर कमेटी का कार्रवाई करने की कोई मंशा नहीं है। सूत्रों के अनुसार बैंक के अधिकारियों ने इस कार्रवाई को कम बताते हुए सख्त कार्रवाई की भी बात रखी, लेकिन उनकी किसी ने भी एक नहीं सुनी।
महाप्रबंधक समेत अन्य अधिकारियों ने साधी चुप्पी
मामला गबन का था, लेकिन कार्रवाई रफादफा कर दी गई। शायद यही कारण है कि बैंक के महाप्रबंधक तक मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। जब महाप्रबंधक ओमवीर सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसमें कोई जानकारी नहीं है। मामले में अध्यक्ष ही कोई जानकारी दे सकेंगे। यहां ये भी जानना जरूरी है कि ओमवीर सिंह ने ही दोनों कर्मचारियों को अपनी रिपोर्ट में गबन के लिए दोषी ठहराया था।
शिकायत के बाद प्रबंध कमेटी के दबाव में आने की भी चर्चाएं
हाल ही एक शिकायत करहल शाखा में गबन करने वाले दोषी कर्मचारी अनुराग और आरती ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव से की थी। इसमें जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष नरेंद्र सिंह राठौर पर छह लाख रुपये की रिश्वत लेने और 10 लाख और मांगने के आरोप लगाए थे। शिवपाल सिंह यादव के पत्र पर सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर ने जांच के निर्देश दिए थे। चर्चाएं हैं कि इसी जांच के आदेश के बाद प्रबंध कमेटी दबाव में आ गई और कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी।
प्रबंध कमेटी ने दोषी कर्मचारियों के संबंध में निर्णय लिया है। ये किसी एक व्यक्ति का निर्णय नहीं है। बैंक के अन्य बिंदुओं पर भी बैठक में विचार कर कई अन्य निर्णय भी लिए गए हैं। –नरेंद्र सिंह राठौर, अध्यक्ष जिला सहकारी बैंक