सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर 10 मई को फैसला सुनाएगा। इससे एक दिन पहले गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया।
ED ने कहा कि वे (केजरीवाल) चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और इससे पहले किसी नेता को प्रचार के लिए न्यायिक हिरासत से जमानत नहीं मिली है। प्रचार करना मौलिक अधिकार नहीं है।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने ये हलफनामा इसलिए दिया कि जस्टिस संजीव खन्ना ने 8 मई को कहा था, ‘हम शुक्रवार को अंतरिम जमानत पर अंतरिम आदेश सुनाएंगे। गिरफ्तारी को चुनौती देने से जुड़े मुख्य मामले पर भी उसी दिन फैसला किया जाएगा।’
इससे पहले 7 मई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ED से कहा था कि चुनाव 5 साल में आते हैं, ये असाधारण परिस्थिति है। अगर हम केजरीवाल को जमानत देते हैं तो हमारी शर्त रहेगी कि वे सरकार के काम में दखलंदाजी नहीं करेंगे।
दिल्ली शराब नीति केस में केजरीवाल एक अप्रैल से तिहाड़ जेल में बंद हैं। वे चुनाव प्रचार नहीं कर पा रहे हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) के गढ़ दिल्ली में 25 मई और पंजाब में 1 जून को लोकसभा चुनाव होने हैं।
7 मई को जमानत पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के 4 कमेंट
- जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा- केजरीवाल कोई आदतन अपराधी नहीं हैं।
- यह एक अभूतपूर्व परिस्थिति है। लोकसभा चुनाव जारी हैं। वो दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री हैं।
- अगर चुनाव नहीं चल रहे होते तो अंतरिम जमानत का सवाल ही नहीं उठता था।
- चुनाव 5 साल में सिर्फ एक बार होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अगर जमानत दी जाती है तो केजरीवाल सरकारी काम में दखल नहीं देंगे। वो अपने आधिकारिक कार्य नहीं करेंगे। ऐसा हुआ तो हितों का टकराव पैदा होगा और हम यह नहीं चाहते।