उत्तर प्रदेश में पार्टी को जोरदार झटका लगा है। कांग्रेस ने पार्टी के दो विधायक अदिति सिंह तथा राकेश सिंह की सदस्यता समाप्त करने को लेकर याचिका दायर की थी। दोनों बागी विधायकों की विधानसभा से सदस्यता समाप्त करने की याचिका खारिज हो गई है। सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने दोनों पक्षों की दलीलों की लंबी सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया। उन्होंने अदिति और राकेश को कांग्रेस सदस्य मानते हुए साक्ष्यों व सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के आधार पर दलबदल कानून के दायरे में नहीं आने की बात कही। इस निर्णय के बाद दोनों की विधायकी बनी रहेगी और सदन में कांग्रेस सदस्य के तौर पर मान्यता मिलेगी। दोनों बागी विधायक रायबरेली जिले से ताल्लुक रखते है।
बता दें कि कांग्रेस विधानमंडल दल नेता आराधना मिश्रा मोना ने गत 26 नवंबर 2019 को रायबरेली सदर की विधायक अदिति सिंह की सदस्यता समाप्त करने की याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि अदिति ने पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करते हुए गत दो अक्टूबर 2019 को आहूत विशेष सत्र में भाग लिया था। इसके अलावा पार्टी विरोधी गतिविधियों में लगातार लिप्त रही है। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सुनाए फैसले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए माना कि व्हिप उल्लंघन अविश्वास प्रस्ताव लाने अथवा पार्टी की नीति संबंधित मामलों में माना जाता है। विधायक अदिति ने स्वयं को कांग्रेस का समर्पित कार्यकर्ता बताया है। फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अदिति ने ट्वीट किया, सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं।
रायबरेली सदर की विधायक अदिति सिंह के सुर कांग्रेस के खिलाफ होने के बाद उनको पार्टी से निलंबित कर दिया गया। अदिति सिंह रायबरेली के पूर्व विधायक अखिलेश सिंह की पुत्री हैं। वह वर्ष 2017 में चुनाव लड़ी थीं। अब निगाहें अदिति सिंह के अगले कदम पर टिकी हैं। उम्मीद है वह भाजपा का दामन थामेंगी। रायबरेली जिले की ही हरचंदपुर सीट से कांग्रेस विधायक राकेश सिंह भाजपा में शामिल हो चुके एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह के सगे भाई हैं। दिनेश प्रताप सिंह को भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ रायबरेली से मैदान में उतारा था।