पीलीभीत में सिटी मजिस्ट्रेट और मंडी सचिव आमने-सामने

पीलीभीत की मंडी समिति की दुकानों के आवंटन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। दुकानों के आवंटन में घपलेबाजी की आशंका जताते हुए सिटी मजिस्ट्रेट ने मंडी सचिव से दुकानों का रिकॉर्ड मांगा था। तीन बार कहने के बाद भी रिकाॅर्ड नहीं दिया गया। सोमवार को सिटी मजिस्ट्रेट ने मंडी सचिव को अपने कार्यालय में बुलाकर कहा कि अगर तीन दिन के अंदर दुकानों का रिकॉर्ड नहीं भेजा तो मंडी निदेशक को पत्र भेजकर प्रकरण से अवगत कराया जाएगा।

बीते दिनों डीएम के पास शिकायत पहुंची की मंडी समिति में बनी दुकानों के आवंटन में जमकर खेल किया जा रहा है। जिनको दुकानें आवंटित की गई हैं उनका वहां कब्जा ही नहीं है। वास्तविक आवंटी ने दुकान किसी और को दे दी और वह किराया वसूल रहा है।

डीएम ने सिटी मजिस्ट्रेट को जांच सौंपी। सिटी मजिस्ट्रेट सुनील कुमार सिंह ने सचिव से मंडी की सभी दुकानों को रिकाॅर्ड मांगा। इस पर दुकानों का विवरण तैयार करने की बात कही गई। सिटी मजिस्ट्रेट ने इसके बाद दो बार विवरण मांगा पर नहीं भेजा गया।
इस पर सोमवार को सिटी मजिस्ट्रेट ने मंडी सचिव को अपने कार्यालय में बुलाकर कहा कि तीन दिन के अंदर मंडी की दुकानों के दस्तावेज मुहैया करा दें वरना मंडी निदेशक को पत्र लिखकर पूरे प्रकरण से अवगत कराया जाएगा।

यह है मंडी में दुकानों की स्थिति
पीलीभीत मंडी परिसर के अंदर श्रेणी ए की 39, बी की 98, सी की 113, डी की 20 और किसान बाजार की 208 दुकान हैं, इसके अलावा 51 गोदाम हैं। इनके अलावा एक दुकान में कृषक सेवा केंद्र तो दूसरे में इंडियन बैंक की ब्रांच चल रही है। इनका मासिक राजस्व करीब 4 लाख रुपये आता है।

मंडी निरीक्षक को बुलाकर तीन दिन के अंदर दुकानों के संबंध में जानकारी देने के लिए कहा गया है। अन्यथा मंडी निदेशक को पत्र लिखकर प्रकरण से अवगत कराया जाएगा

दुकानों की सूची देने का आदेश फिलहाल हमें नहीं मिला है। हालांकि आफिस में दुकानों की लिस्ट तैयार हो रही है। सिटी मजिस्ट्रेट मंडी के चेयरमैन हैं, मंडी में बैठते भी हैं, जब चाहे रिकाॅर्ड देख सकते हैं।