मैनपुरी में 1999 में करहल के बच्चन लाल ने डीएम को शिकायती पत्र देते हुए आरोप लगाया था कि जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ. बालमुकंद प्रभाकर मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने के लिए उनसे रिश्वत की मांग कर रहे हैं जिस पर डीएम ने कार्रवाई के लिए तत्कालीन एसडीएम हरिप्रताप शाही के नेतृत्व में एक टीम गठित की थी।
24 साल पुराने डाक्टर बालमुकंद प्रभाकर हत्याकांड के मामले में एसपी मानवाधिकार आयोग लखनऊ सहित छह आराेपितों को विशेष न्यायालय एससीएसटी एक्ट के न्यायाधीश चम्पत सिंह ने साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया। घटना के बाद से ही ये मामला चर्चाओं में बना हुआ था।
साल 1999 में करहल निवासी बच्चन लाल ने डीएम को शिकायती पत्र देते हुए आरोप लगाया था कि जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ. बालमुकंद प्रभाकर मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने के लिए उनसे रिश्वत की मांग कर रहे हैं।
टीम ने रंगे हाथ पकड़ा
जिस पर डीएम ने कार्रवाई के लिए तत्कालीन एसडीएम हरिप्रताप शाही के नेतृत्व में एक टीम गठित की थी। टीम में तत्कालीन सीओ सिटी अमित मिश्रा, नायब तहसीलदार रामशंकर वर्मा, इंस्पेक्टर कोतवाली राजवीर सिंह व अन्य को शामिल किया गया था। डीएम द्वारा गठित टीम 29 अक्टूबर 1999 को जिला अस्पताल पहुंची।
शिकायतकर्ता बच्चनलाल ने जैसे ही रिश्वत की धनराशि चिकित्सक को दी तभी टीम ने चिकित्सक को पकड़ लिया। गिरफ्तारी के दौरान चिकित्सक की मृत्यु हो गई। अधिकारियों का कहना था कि चिकित्सक ने कार्रवाई से बचने के लिए रिश्वत के नोटों को चबाकर निगलने का प्रयास किया था। जिससे दम घुटने से उनकी मृत्यु हुई है।
टीम के खिलाफ एफआईआर हुई दर्ज
वहीं अधिवक्ता पीसी निगम ने एसडीएम हरिप्रताप शाही, सीओ सिटी अमित मिश्रा, नायब तहसीलदार रामशंकर वर्मा, एसडीएम के अहलमद रनवीर सिंह, इंस्पेक्टर कोतवाली राजवीर सिंह मलिक, दारोगा फकीरे लाल, सिपाही बृजेश, भगवान सिंह, शिवलाल सिंह और शिकायतकर्ता बच्चनलाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई।
वहीं पुलिस की ओर से चिकित्सक बालमुकुंद प्रभाकर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया गया। चिकित्सक की मृत्यु हो जाने के कारण उनके खिलाफ मामला बंद कर दिया गया। जबकि उनकी हत्या के मामले की जांच सीबी सीआइडी को साैंप दी गई।
आरोप नहीं हो सका साबित
जांच के बाद सभी आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट प्रस्तुत कर दी गई। शासन ने एसडीएम के खिलाफ अभियोग चलाने की अनुमति नहीं दी। वहीं जिला प्रशासन ने अहलमद रनवीर सिंह के खिलाफ अभियाेग चलाने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया। अन्य आठ आरोपितों के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई।
इसी बीच दारोगा फकीरे लाल की मृत्यु हो गई। नायब तहसीलदार रामशंकर वर्मा की गिरफ्तारी पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी। अन्य आरोपितों के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई। अभियोजन पक्ष अपने गवाहों के जरिए अदालत में आरोप को साबित नहीं कर सका।
साक्ष्य के अभाव में न्यायाधीश ने सभी छह आरोपितों को मुक्त कर दिया। वहीं नायब तहसीलदार रामशंकर वर्मा की गिरफ्तारी से उच्च न्यायालय द्वारा रोक हटा ली गई है। उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। अमित मिश्रा वर्तमान में एसपी मानवाधिकार आयोग लखनऊ के पद पर तैनात हैं।