बरेली-बिकास से अनछुई रह जाती हैं सीमावर्ती सड़कें

बरेली-आज हम बात अकेली बरेली की नही कर रहे बात कर रहे हैं सरकार की,सरकार वही प्रदेश वही और मंत्री भी वही पर विकास में भेदभाव, आज कितनी ही सड़के ऐसी पड़ी हैं जिनसे निकलना दुश्वार है।

बरेली में ऐसे कई गांव कस्वे हैं जो इन्ही सब के कारण नर्क की जिंदगी जीने को मजबूर हैं।आंवला में कई गांव ऐसे हैं जो सीमा विवाद के चक्कर मे पड़े हैं और विकास देख ही नही पाए।उन्ही में है व्योधन खुर्द,डलुआपुर पृथ्वीपुर और भी बहुत हैं जो विकास के लिए तरस तो रहे हैं पर विकास नही मिल पा रहा है। डलुआपुर से गुजरने बाले अलीगंज आंवला सम्पर्क मार्ग वैसे तो ठीक ठाक है पर।तकरीबन 200 मीटर सीमा विवाद में पड़ कर बेकार पड़ा जानते हैं वह भी कहां, जहां से अगर बाइक फिसल जाए तो बिना फैक्चर के बच नही सकते । अरिलनदी के आंवला क्षेत्र और उस विथरी क्षेत्र अब इन्हें कौन समझाए की ग्रामीण वोट इसलिए नही देते की उन्हें,क्या सपोर्ट नही करते क्या इनके वोट से सरकार नही बनती अगर ऐसा सब है तो भेदभाव क्यो।एक बरेली बदायूँ का रोड है दातागंज और बगरैंन का जो सीमा विवाद की बजह से वैक्स की लहर नही देख पाता उधर से ठीक होता है तो उधर से टूट जाता है।इसी सिलसिले की बजह से राहगीरों को दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है।सरकार से सभी उन ग्रामीणों की गुजारिश है कि उन्हें सीमा विवाद में न उलझाएं और जब वह उन्हें वोट और सपोर्ट दोनों करते हैं तो विकास क्यो नही मिलता।