बोधिसत्व संत रविदास जी की जयंती के पावन अवसर पर चंद्रमणि बुद्ध विहार बरेली में विपश्यना ध्यान शिविर का आयोजन हुआ जिसमें 50 से अधिक संख्या में विपश्यना साधकों ने पहुंचकर विपश्यना ध्यान का अभ्यास कर लाभ लिया। शिविर में ध्यान सिखाने लखनऊ के प्रसिद्ध आचार्य आनागरिक मिथिलेश पहुंचे।
कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह 10:00 बजे हुआ, पहले संत रविदास जी की जयंती मनाई गई और उसके बाद भगवान बुद्ध संत रविदास की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। उसके उपरांत ध्यान के चार सत्र आयोजित किए गए ध्यान का प्रत्येक सत्र आधे घंटे का था। प्रत्येक सत्र के बाद 5 मिनट का ब्रेक दिया गया। बीच में आचार्य ने लोगों के प्रश्न लिए और उनके जवाब दिए। सभी साधकों ने पूरे दिन तन्मयता के साथ पूरे समय ध्यान किया गया। अंत में ‘विपश्यना ध्यान क्यों करना चाहिए?’ इस विषय पर विपश्यना विशेषज्ञ संतोष शाक्य के द्वारा प्रकाश डाला गया।
आचार्य मिथिलेश कुमार ने बताया कि विपश्यना विद्या भगवान बुद्ध के द्वारा दी गई और आचार्य सत्यनारायण गोयनका के द्वारा आधुनिक भारत में बड़े स्तर पर प्रसारित की गई। उन्होंने बताया कि विपश्यना ध्यान मनुष्य के सभी दुखों से मुक्ति का मार्ग है। आचार्य मिथिलेश कुमार के द्वारा भगवान बुद्ध के चार आर्य सत्य और भगवान बुद्ध का अरिय अष्टांगिक मार्ग भी बताया गया।
कार्यक्रम का आयोजन विपश्यना एवं योग फाउंडेशन के द्वारा किया गया जोकि विपश्यना ध्यान प्रचार के लिए समर्पित एक संस्था है और पूरे देश में विपश्यना के प्रचार के लिए काम कर रही है। विपश्यना एवं योग फाउंडेशन भगवान बुद्ध के ज्ञान, धर्म ध्यान, योग को पूरे देश में प्रचारित करने का काम कर रही है और हजारों लोगों को दुख से मुक्ति का मार्ग दिखा रही है।