बरेली:अजीब विडम्बना है कि जहाँ बीमारों का इलाज होना चाहिए, वहाँ डॉक्टर साहब सुनते नही क्योंकि उन्हें अपने निजी कार्यो से फुरसत मिले तब वह मरीज को देखने के लिए टाइम निकाले या मरीज की हालत देखे पर यह नही होता आज अधिकतर डॉक्टर साहब व्हाट्सएप या अन्य मैसेंजर पे बिजी रहते हैं डॉक्टर साहब की इन्ही करतूतों के कारण एक मरीज जिला अस्पताल के डॉक्टर साहब के कमरे के बाहर तड़पता रहा,परिजन चिल्लाते रहे पर डॉक्टर साहब ने एक न सुनी और वह मरीज तड़प कर मर गया लेकिन डॉक्टर साहब फिर भी बाहर नही आए,अगर डॉक्टर साहब बाहर आ जाते तो,बिथरी चैनपुर के पोशाकी लाल का बेटा बाबू बच जाता लेकिन जान बचाने बाले ने ही लापरवाही के चलते उसकी जान लेली।बताया जा रहा है कि हाइड्रोसील की शिकायत के चलते पोशाकी लाल ने अपने बेटे बाबू को जिला अस्पताल में भर्ती करने के लिये ले गए,पर्चा बनबाने के बाद भी डॉक्टर साहब नही मिले और तड़प कर बाबू ने दम तोड़ दिया