बरेली।परसाखेड़ा के जेलर बाग को काटने के मामले में वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने सघन जांच के आदेश दिए हैं। जिससे एक-एक पेड़ का पता लगाया जा सके। पेड़ों की जड़ों से पता लगाया जाएगा। इसको लेकर सोमवार को वन विभाग की जांच टीम मौका मुआयना करेगी। वन विभाग से कितने पेड़ काटने की परमिशन ली गई थी। इसको लेकर मुख्य वन संरक्षक ने इस मामले में जांच टीम को हर बिंदु को ध्यान में रखकर जांच करने के निर्देश दिए हैं। जिससे हरियाली के दुश्मनों पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो सके। यदि जांच में परमिशन से अधिक पेड़ों का कटान पाया जाता है, तो बिल्डर पर एक और मुकदमा दर्ज होगा।
क्षेत्रीय लोगों के मुताबिक, परसाखेड़ा बरेली दिल्ली हाईवे स्थित मथुरापुर में जेलर बाग अब एक बड़ा मैदान बन गया है। जहां कभी 350 बीघा क्षेत्र में 2800 पेड़ रिकार्ड में मौजूद थे। अब 2800 पेड़ों वाले जेलर बाग को कंक्रीट का जंगल बनाने की कवायद चल रही है। दो साल में बाग को वीरान कर दिया है। वन विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर बिल्डर ने रात में पेड़ों का कटान कर बाग को उजाड़ दिया। इतना ही नहीं बाग होने का नामोनिशान मिटाने के लिए पेड़ों की जड़ों को केमिकल डालकर जलाया गया। जेसीबी से जड़ों को उखाड़ा गया। हिन्दुस्तान ने जेलर बाग को वीरान करने की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की। इसके बाद वन अधिकारी जागे। बाग उजड़ने की जानकारी होने के बाद भी चुप्पी साधे बैठे वन विभाग के अधिकारी अब जांच की बात कर रहे हैं। इसको लेकर सोमवार को टीम मौके पर जाएगी। हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि जब वन विभाग को उजड़ता हुआ बाग नहीं दिखाई दिया तो वे अब जांच क्या करेंगे। मुख्य वन संरक्षक ने इस मामले में डीएफओ से जेलर बाग मामले की रिपोर्ट तलब की है। डीएफओ ने रेंजर और वन दरोगा के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम जांच को बनाई है। सोमवार को यह टीम जेलर बाग जमीन का मौका मुआयना करेगी। कितने पेड़ों का कटान हुआ है। मौका मुआयना कर सर्वे रिपोर्ट तैयार होगी। जेलर बाग में पेड़ कटान की वन विभाग से कितनी परमिशन ली गई। जांच रिपोर्ट से मिलान किया जाएगा। मुख्य वन संरक्षक ललित वर्मा का कहना है, जेलर बाग में पेड़ों के कटान की जांच कराई जा रही है। कितने पेड़ों की परमिशन ली गई थी। कितने पेड़ मौके पर काटे गए हैं। इसकी रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
चंद कदम दूर वन संरक्षक का ऑफिस
जेलर बाग और वन संरक्षक ऑफिस की दूरी दो किलोमीटर होगी। यहीं वन विभाग की कॉलोनी भी है। दो साल तक अंधाधुंध पेड़ों का कटान होता रहा। ना तो वन अधिकारियों ने इस पर ध्यान दिया और ना ही कर्मचारियों ने। इसे क्या माना जाएगा? क्षेत्रीय जनता का कहना है, पूरा खेल अधिकारियों की सांठगांठ से बिल्डर ने किया। बड़े-बड़े छायादार और फलदार वृक्ष थे। जिनकी जड़ें तक खुदवा दी गईं। पर्यावरण संरक्षण को कभी जेलर बाग मिसाल बना हुआ था, आज जेलर बाग का नामो निशान ही मिटा दिया गया।