बरेली-हाथो में खनकती चुडिया, पैरो में पायल , माथे पर बिंदिया और तन पर सोलह श्रृंगार , हम किसी नव योवना की बात नहीं कर रहे ,हम बात कर रहे है रेलवे के रिटाएर सेक्सन इंजीनियर वीरेंद्र कुमार सक्सेना की , जिन्होंने रिटायर होने के बाद सारा जीवन कान्हा की भक्ति में लगा दिया और बन गई राधा।कान्हा कि भक्ति में नाचती ये राधा न तो कोई स्त्री है और न ही किसी नाटक मण्डली कोई कलाकार पुरुष , ये है इंजीनियर वीरेंद्र सक्सेना जिन्होंने अपना सारा जीवन कान्हा को समर्पित कर दिया है ,
15 साल पूर्व जब ये बरसाने गये थे तो इन्होने वहां भले घरो के लोगो को राधा के भेष में नृत्य करते देखा तभी से उन्हें कृष्ण की लगन लग गई जब कृष्ण की भक्ति में भाव विभोर होकर मंदिरों में झूमते है तो भक्त जहाँ एक और आश्चर्य चकित हो जाते है वहीँ कृष्ण की दीवानी इस
अनोखी राधा की भक्ति के आगे नतमस्तक भी है,
एक और जहाँ ये राधा कृष्ण कि भक्ति में चूर है वही इस पुरे कार्य में इनका पूरा परिवार साथ देता है जिसमे बहु बेटियां यहाँ तक कि उनके पोते पोती भी उनका सहयोग करते है। नाम की भक्ति की ज्योति जिसके ह्रदय में जल जाती है वो खुद ही कृष्ण में रम जाना चाहता है।
और 83 सावन देख चुकी बरेली कि इस राधा का जोश देख कर एक ओर जहाँ लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं, वही उम्र के इस पड़ाव पर भले ही वो ठीक से चल फिर नहीं सकते लेकिन पाव में घुघरू बढ़ने के बाद ये कृष्ण कि भक्ति में ऐसे ही चूर हो जाती है कि अपनी उम्र को पीछे छोड़ देते है!