सरकार की उपेक्षा का शिकार बनी डिजिटल मीडिया के पंजीकरण के लिए एवं ई-पेपर के संचालन को लेकर आज जर्नलिस्ट काउंसिल आफ इंडिया (रजि0) ने हुंकार भरी। जर्नलिस्ट काउंसिल आफ इंडिया (रजि0) के राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक पदाधिकारियों ने एक वर्चुअल मीटिंग करके डिजिटल मीडिया के पंजीकरण के लिए हुंकार भरी और कहां गया कि सरकार मीडिया के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है और देश की आजादी के पिछत्तरवी वर्षगांठ के बाद भी पत्रकारों को उनका हक नहीं दिया गया है देश में सरकार किसी की भी हो लेकिन पत्रकारों के साथ सौतेला व्यवहार ही किया गया है जबकि किसी भी सरकार द्वारा किए गए अच्छे बुरे कार्यों का पत्रकार एक आईना मात्र है।
सभा का संचालन करते हुए राष्ट्रीय संयोजक डॉ आर0 सी0 श्रीवास्तव ने कहा कि 1867 और 2023 के मध्य बहुत कुछ बदल चुका है इसी के साथ पत्रकारिता ने भी अपने कलेवर को बदला है और आज पत्रकारिता वर्तमान परिस्थितियों में अपने नए रूप को परिलक्षित करती है जिसमें डिजिटल मीडिया का और ई-पेपर का अपना एक अलग मुकाम है परंतु सरकार की उपेक्षा के चलते आज डिजिटल मीडिया अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है जो की स्वस्थ्य लोकतन्त्र के लिए आवश्यक भी है। संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज देश में एक करोड़ से भी अधिक पत्रकार विभिन्न स्तर पर अपना कार्य कर रहे हैं जबकि सरकार केवल जिले स्तर के पत्रकारों को और श्रमजीवी पत्रकारों को ही पत्रकार मांनती है जो पत्रकारों के लिए सौतेला व्यवहार है और जब तक डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को उनका हक नहीं मिल जाता तब तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी।उन्होंने कहा की सर्वप्रथम तो सरकार को यह बताना चाहिए कि सरकार द्वारा पत्रकारिता के लिए क्या मानक निर्धारित किए गए हैं और क्या वह आज की तारीख में आदर्श मानक के रूप में स्थापित होते हैं। आज वेव मीडिया के पत्रकार भ्रम की स्थिति मे है जहां सरकार एक ओर इन्हे श्रमजीवी पत्रकार मान रही है वही इनको सरकारी तंत्र फर्जी पत्रकार बता रहा है।
संस्था के वरिष्ठ राष्ट्रीय पदाधिकारी अशोक झा ने कहा कि आज जबकि डिजिटल मीडिया जब लोगों के दिलों पर राज कर रही है तब सरकार द्वारा इस तरह का कदम उठाया जाना कहीं से भी उचित नहीं है।
अपने विचार रखते हुए प्रदेश सलाहकार समिति के वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र पांडे ने कहा कि सरकार को आज नए सिरे से पत्रकार और पत्रकारिता से संबंधित कानूनों की समीक्षा करनी चाहिए ताकि पत्रकारों को उनका वास्तविक हक मिल सके। इस अवसर पर अपना पक्ष रखते हुए प्रदेश सलाहकार समिति के वरिष्ठ पत्रकार सचिन श्रीवास्तव ने कहा कि आज जब पत्रकार हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहे हैं तब उच्च पदस्थ लोगों को घबराहट होने लगी है और इसीलिए डिजिटल मीडिया के पत्रकारों का उत्पीड़न किया जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार राजेश पांडे ने कहा कि सरकार को बरसों पुराने कानून की समीक्षा करते हुए पत्रकारों को उनका हक देना चाहिए। डॉ आर सी श्रीवास्तव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज मीडिया का स्वरूप पूरी तरीके से बदल गया है परंतु सरकार वहीं 1967 के नियमानुसार अपना कार्य कर रही है जिस में संशोधन करना अति आवश्यक है।
सबसे विचार-विमर्श करके निष्कर्ष निकाला गया कि देश के प्रधानमंत्री एवं सूचना एवं प्रसारण मंत्री को संगठन उक्त समस्याओं से अवगत कराते हुए यह भी मांग करेगा कि आज जबकि कागज और स्याही की कीमतें आसमान छू रही हैं और छोटे अखबार अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं ऐसी स्थिति में ई पेपर, डिजिटल मीडिया आदि को नियमों में संशोधन करते हुए पंजीकृत मीडिया का दर्जा दिया जाए अन्यथा पत्रकार जो कि आज करोड़ों में है अपने हक और हुकूक की लड़ाई के लिए दो-दो हाथ करने को मजबूर होंगे। मीटिंग के दौरान सहारनपुर से अम्मार आब्दी ,संत कबीर नगर से राघवेंद्र त्रिपाठी,बरेली से शिवजी भट्ट ने भी हिस्सा लिया।
रिपोर्टर परशुराम वर्मा