बरेली – हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में युवा लेखक पीयूष आर्य ने लिखा लेख हिंदी ही है हमारी मातृभाषा।

आँवला – हिंदी है तो हिंदुस्तान है
इसीलिए सभी का मान है हिन्दी ।
रोज बोल कर तो देखो कितना सम्मान है हिन्दी ।
हर भारतीय की अपनी पहचान है हिन्दी
जैसे सुहागन के माथे सजी हो हमेशा बिंदी ।
गांव की मिट्टी की सौंधी खुशबू से लेकर महानगरों की चमचमाती सड़कों तक सौम्यता का भाव है हिन्दी ।
खेतों में लहराती सरसों के फूलों जैसी सुगंधित है हिन्दी ।
किसानों के बिन फसल नहीं जैसे
हिन्दी के बिना दिल के भावो की प्रकटता नहीं जैसे ऐसी मीठी भाषा है हिन्दी ।
जीने के बदले तरीकों में
भावनाओं का विस्तार जैसी है हिन्दी ।
भाव एक शैली अनेक ऐसे ही अनगिनत शब्दों का समूचा भंडार है हिन्दी ।
करुणा है, दया है, वात्सल्य है और श्रृंगार है हिन्दी
क्योंंकि सभी के जीवन का सच्चा सार है हिन्दी ।
हिन्दू,मुस्लिम, सिख, बौद्ध , ईसाई
सभी के आचरण का सच्चा आधार है हिन्दी ।
पानी की मोटी रोटी पर लाल मिर्च की चटनी जैसी है हिन्दी
छोटे बच्चों से लेकर देश के सैनिकों के होंठो पर खूब गूंजती है प्यारी हिन्दी ।
ऐसी है हिन्दी , ऐसी है हिन्दी
जय हिन्द
पीयूष आर्य
युवा लेखक चिंतक व विचारक
बरेली उत्तर प्रदेश।

रिपोर्टर – परशुराम वर्मा