बरेली-:-सर ज़मीन ए सेथल पर हज़रत चराग अली शाह मियां का दरबार है ये वह दरबार है जहां मन की मुराद पूरी होती है।लोग खाली हाथ मियां के दरबार में आते हैं और मुरादों से झोली भरकर लौटते हैं।मियां के दरबार में न कोई छोटा है न बड़ा गोरा है न काला हिन्दू है न मुसलमान जो सच्चे दिल से मांगता है मियां जी अल्लाह के हुक्म से उनकी मुराद पूरी करते हैं।यहां बे औलादों को औलाद मिलती है और मरीजों को शिफा।आज हम हज़रत चिराग अली शाह मियां के इतिहास पर बताने ज रहे हैं।लगभग तीन सौ बरस पहले निकट के गांव टांडा सादात में मियां कमाल भंडारी के नाम का डंका बजता था आप बहुत पहुंचे हुए फ़क़ीर थे,आपके यहाँ बहुत सारी गायें पला करती थीं उन्हीं दिनों एक आठ दस बरस का बच्चा कहीं से मियां कमाल भंडारी के दरबार में हाज़िर हुआ और अपने पास रख लेने की बिनती की मियां भंडारी ने बच्चे को अपनी गायों का गोबर उठाने के लिए रख लिया।वक़्त गुज़रता गया और बच्चा बड़ा होता गया।एक दिन अचानक मियां भंडारी की नज़र बच्चे पर पड़ी तो वह चौंक पड़े मियां भंडारी ने देखा के गोबर का पल्ला बच्चे के सिर से एक फिट ऊपर चल रहा है मियां भंडारी को समझते देर नहीं लगी उन्होंने तुरंत आवाज़ लगाई,चरागा यहाँ आ बच्चे के करीब पहुंचते ही मियां जी बोले अब एक नियाम में दो तलवारें नहीं रखी जा सकतीं तू यहां से चला जा।पीर का हुक्म सुनते ही चरागा वहां से चला आया और सेथल में एक कुटी डाल कर रहने लगा।वक़्त बीतता गया फिर एक दिन जब किसान मुंह अंधेरे हल लेकर जंगल को निकले तो देखकर हैरान रह गए ,चरागा के जिस्म के चार टुकड़े अलग अलग दिशाओं में बिखरे पड़े थे,किसानों को लगा के किसी ने उन्हें क़त्ल कर दिया है।किसान जंगल न जाकर वापस लौट आये और खबर क़स्बा वासियों को सुनाई।खबर सुनते ही सैकड़ों की तादात में लोग घटना स्थल पर पहुंचे तो देखा वह अपनी कुटिया में आराम से बैठे हैं लोग समझ गए के यह आम फ़क़ीर नहीं हैं।उसी दिन से चरागा चराग अली शाह मियां के नाम से मशहूर हो गए।फिर अनेक करामातें आप से सर ज़द होती गईं।आपकी शोहरत दूर तक फैल गई।मियां चराग अली शाह की शोहरत सुनकर एक नर्तकी आपके पास आई जो बे औलाद थी मियां जी ने उसे दुआ दी और उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।पुत्र प्राप्ति के बाद उक्त नर्तकी एक बरस बाद फिर मियां जी के दरबार में हाज़िर हुई और उनकी कुटी के सामने नृत्य किया यह देख मियां जी एक चादर से मुंह ढाँप कर लेट गए।नृत्य के उपरान्त जब नर्तकी ने मियां के चेहरे से चादर हटाई तो देखा मियां जी इस दुनिया ए फानी से रुखसत हो चुके थे।बाद में उसी नर्तकी ने आपके मज़ार की तामीर कराई और जब तक वह ज़िंदा रही मियां के मज़ार पर आती रही।मियां जी की दुनिया से रुखसती के बाद से दीपावली के अवसर पर उनके मज़ार पर मेला लगता आ रहा है।लोग खाली हाथ उनके मज़ार पर आते और दामन को खुशियों से भरकर लौटते हैं।
सरफ़राज़ खां सेथली