बरेली/बरेली – बरेली जनपद के ब्लॉक रामनगर में प्रधानों पर शक, मगर पुष्टि नहीं
छह गांवों में बिना अनुमति और सरकारी योजना के हैंडपंप लगाने के मामले में ठेकेदार पर एफआईआर कराने वाले एडीओ पंचायत करन सिंह के अनुसार इसमें प्रधानों की मिलीभगत हो सकती है। आशंका है कि प्रधानों ने ठेकेदार से मिलकर चहेतों के घरों में हैंडपंप लगवाए हों। मगर सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि ये हैंडपंप आए कहां से। सबसे ज्यादा शक इस बात को लेकर और गहरा रहा है कि अधिकतर हैंडपंप लोगों के घरों में लगवाए गए हैं। एडीओ पंचायत के अनुसार प्रधान ने चार नलों के रिबोर के लिए पैसा निधि से जारी करने को कहा था, मगर उन्होंने यह धनराशि जारी नहीं की थी। बताया जा रहा है कि शुरुआत में यह मामला पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह की जानकारी में आया जिसके बाद उन्होंने सीडीओ को बताया। इसके बाद सीडीओ ने बीडीओ रामनगर को जांच के आदेश दिए।
बड़ा सवाल… किसी सरकारी स्टोर से तो नहीं लाए गए पुराने हैंडपंप
गांव वालों से 5.50 लाख लिए, लेकिन अनुमानित खर्च करीब 28.80 लाख
माना जा रहा है कि इंडिया मार्का हैंडपंप लगाने के लिए रामनगर ब्लॉक को इसीलिए चुना गया क्योंकि यहां जलस्तर काफी नीचे है और छोटे नलों से पानी ले पाना गांव के लोगों के लिए मुश्किल पड़ता है। इसी कारण लोग इंडिया मार्का हैंडपंप के लिए पैसे देने को तैयार हो गए। जिन 46 घरों में ये हैंडपंप लगाए गए, उनसे कुल 8600 के हिसाब से मिलाकर करीब 5.50 लाख रुपये लिए गए जबकि अनुमानित तौर पर इतने हैंडपंप लगाने पर 45 हजार के खर्च के हिसाब से करीब 28.8 लाख की रकम खर्च हुई होगी।
इसी कारण यह बड़ा सवाल है कि ठेकेदार ने अपना पैसा फूंककर ये हैंडपंप क्यों लगवाए। एडीओ पंचायत के मुताबिक ठेकेदार ने उन्हें बताया है कि एक एनजीओ ने हैंडपंप लगवाए हैं, लेकिन इसका कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं दे पाया। शक यह भी जताया जा रहा है कि ये हैंडपंप किसी सरकारी स्टोर से तो नहीं लाए गए हैं।
रामनगर ब्लॉक में भूगर्भ जल स्तर की स्थिति बहुत खराब है, फिर भी बिना अनुमति और योजना के प्राइवेट ठेकेदार ने हैंडपंप लगाए हैं। फिलहाल एफआईआर करा दी गई है। उसने हैंडपंप क्यों और किसके कहने पर लगाए, कम पैसा लेकर ज्यादा खर्च क्यों किया, यह समझ में नहीं आ रहा है। जांच में सबकुछ स्पष्ट होगा। – जग प्रवेश, सीडीओ।
रिपोर्टर परशुराम वर्मा