पीलीभीत में हत्या के मुकदमे में आरोपियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के मामले में सेवानिवृत्त सीओ और तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक बीसलपुर प्रबल प्रताप सिंह के खिलाफ कुर्की वारंट जारी किया गया है। उनके खिलाफ 2005 में मुकदमा दर्ज किया गया था। तब से अब तक वह अदालत में हाजिर नहीं हुए।
वर्ष 2005 में चुर्रासकतपुर निवासी हरपाल मलिक की हत्या का मुकदमा बीसलपुर थाने में दर्ज हुआ था। इसकी जांच तत्कालीन थानाप्रभारी प्रबल प्रताप सिंह ने की थी। प्रभारी निरीक्षक पर हत्या आरोपियों को लाभ पहुंचाने की शिकायत चुर्रासकतपुर की तत्कालीन प्रधान कमलेश मलिक ने की थी। इसमें शासन के आदेश के बाद थाना प्रभारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। साथ ही जांच सीबीसीआईडी की बरेली को सौंप दी गई थी।
सीबीसीआईडी के इंस्पेक्टर बचन सिंह ने मुकदमे की विवेचना की और प्रबल प्रताप सिंह को दोषी पाते हुए आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया गया। इधर, प्रबल प्रताप सिंह सीओ के पद से सेवानिवृत हो गए, लेकिन अभी तक अदालत में इस मुकदमे के संबंध में हाजिर नहीं हुए। लगातार गैरहाजिर रहने पर अदालत ने पहले वारंट जारी किए। अब न्यायालय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित कुमार यादव ने रिटायर्ड सीओ के कुर्की वारंट जारी कर दिए हैं।
पीलीभीत में सेवानिवृत्त सीओ को बचाने के मामले में अब सीबीसीआईडी के उपनिरीक्षक सुभाष चंद्र भी फंस गए हैं। अदालत ने कुर्की वारंट रिटायर्ड सीओ के गांव ग्वालरा, थाना हरदुआगंज, जिला अलीगढ़ स्थित मकान पर चस्पा करने के आदेश दिए थे, लेकिन सीबीसीआईडी के उपनिरीक्षक सुभाष इसे 67,लक्ष्मण विहार कॉलोनी मुजफ्फरनगर में चस्पा कर आए। अदालत को भेजी रिपोर्ट में उपनिरीक्षक ने कहा कि प्रबल प्रताप सिंह मुजफ्फरनगर स्थित अपने आवास पर नहीं मिले। इनके रिश्तेदारों की मौजूदगी में आवास पर कुर्की वारंट चस्पा कर दिया गया है। अदालत यह देखकर हैरान रह गई कि जब आरोपी का पता अलीगढ़ का था, तो फिर दरोगा मुजफ्फरनगर में अज्ञात पते पर कैसे वारंट चस्पा कर आए। अदालत ने दरोगा सुभाष चंद्र की भूमिका संदिग्ध पाते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए डीजी सीबीसीआईडी को पत्र लिखा है। साथ ही इस प्रकरण की जांच कर न्यायालय को 15 दिन में अवगत कराने के लिए कहा है।