पीलीभीत में ठंड और कोहरा के दौरान जंगल के भीतर शिकारी भी सक्रिय हो जाते हैं। पीलीभीत टाइगर रिजर्व का जंगल पांच रेंजों में बंटा हुआ है। महोफ वन क्षेत्र की सीमाएं उत्तराखंड के जंगल से मिली हुई हैं। इसके अलावा बराही वन क्षेत्र की सीमाएं उत्तराखंड के साथ ही नेपाल और दुधवा से लगी हुई हैं। ये सीमाएं खुली होने के कारण घुसपैठिये दस्तक देते हैं।
माधोटांडा में ठंड और कोहरा के दौरान जंगल के भीतर शिकारी भी सक्रिय हो जाते हैं। इन दिनों कोहरा काफी अधिक आने लगा है। कोहरे की आड़ लेकर शिकारी अक्सर भागने में सफल भी हो जाते हैं। इसी को देखते हुए वन विभाग की टीम जंगलों में सक्रिय हो गई। रात्रि गश्त भी बढ़ा दी गई है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व का जंगल पांच रेंजों में बंटा हुआ है। महोफ वन क्षेत्र की सीमाएं उत्तराखंड के जंगल से मिली हुई हैं। इसके अलावा बराही वन क्षेत्र की सीमाएं उत्तराखंड के साथ ही नेपाल और दुधवा से लगी हुई हैं।
टाइगर रिजर्व के जंगलों में घुसपैठियों की दस्तक
ये सीमाएं खुली होने के कारण टाइगर रिजर्व के जंगलों में अवैध घुसपैठिए और शिकारी दस्तक दे देते हैं। यहां पर कई ऐसे शिकारी पकड़े गए, जिनके पास वन्यजीवों के अंग बरामद हो चुके हैं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय तस्कर तोताराम गैंग के भी कई सदस्य अवसर पाते ही पीलीभीत टाइगर रिजर्व में सक्रिय हो जाते हैं।
जंगलों में शिकारी हो जाते हैं एक्टिव
जैसे-जैसे सर्दी और कोहरा बढ़ता रहता है, वैसे-वैसे जंगलों में अवैध घुसपैठिए सक्रिय होने लगते हैं। शिकारी ठंड के मौसम में शिकार को अंजाम देते हैं। इस मौसम को शिकारी शिकार के लिए सबसे अच्छा समझते हैं। क्योंकि इस समय कोहरा काफी अधिक होता है। ऐसे में शिकारियों को जंगल के भीतर छिपने में आसानी हो जाती है।
कोहरे का फायदा उठाकर वन विभाग को देते हैं चकमा
अक्सर कोहरे का फायदा उठाकर शिकारी वन विभाग की आंखों में धूल झोंक कर फरार हो जाते हैं। इस स्थिति में अब टाइगर रिजर्व प्रशासन सतर्क हो गया है। ठंड और कोहरा बढ़ने के साथ ही टाइगर रिजर्व प्रशासन ने जंगल के भीतर गश्त भी बढ़ा दी है। बराही वन क्षेत्र के क्षेत्राधिकारी अरुण मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि जंगल के भीतर नियमित रूप से गश्त की जा रही है। शिकारी या किसी भी अवांछित तत्व को जंगल के भीतर घुसने नहीं दिया जाएगा।