पीलीभीत- माधोटांडा मार्ग के लिए पिछले माह लोक निर्माण विभाग की ओर से शासन को 26 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था। प्रस्ताव में पूरी सड़क को ही खराब दिखा दिया गया। जब जांच हुई तो पता चला कि छह किलोमीटर सड़क पूरी तरह से ठीक है। सामने आया कि करीब तीन करोड़ रुपये ज्यादा का एस्टीमेट बनाकर भेजा गया। लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों को अब इस मामले में कोई जवाब देते नहीं बन रहा है।
खस्ताहाल हो चुकी पीलीभीत- माधोटांडा मार्ग को ठीक करने के लिए लोक निर्माण विभाग ने पिछले साल विशेष मरम्मत के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा लेकिन मंजूरी नहीं मिली। मंजूरी के अभाव में सड़क के गड्ढों को भरा जाता रहा। हालांकि चर्चा यह भी है कि विभाग ने गड्ढों को भरने में भी खेल किया। जिस कारण करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी सड़क गड्ढा मुक्त नहीं हो सकी।
बीते माह सड़क के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा गया। इसमें 30 किलोमीटर सड़क को बनाने के लिए करीब 24 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया। प्रस्ताव की जब अधिकारियों ने जांच की तो सड़क का छह किलोमीटर का हिस्सा सही निकला। इसे दोबारा बनाने की कोई जरूरत नहीं पाई गई।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिय सड़क को अधिकारियों को दिखाया गया। साफ है कि करीब तीन करोड़ ज्यादा का प्रस्ताव भेजकर विभाग को चूना लगाने की तैयारी थी। अब जब मामला पकड़ में आ गया है तो पीडब्ल्यूडी के अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
प्रस्ताव 30 किलोमीटर की पूरी सड़क का भेजा गया था। उच्चाधिकारियों की तरफ उन्हें जब नोटिस मिलेगा तो जवाब भेज दिया जाएगा।-
करीब 24 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया था। इसमें छह किलोमीटर की सड़क ठीक पाई गई। इसी संबंध में प्रस्ताव भेजने वाले अधिकारी व इंजीनियरों से जवाब मांगा गया है।