मलयाली सिनेमा की सबसे खूबसूरत अदाकारा कही जाने वाली एक्ट्रेस विजयाश्री। मलयाली फिल्म इतिहासकारों की मानें तो विजयाश्री इस कदर खूबसूरत थीं कि चाहनेवाले फिल्में नहीं उन्हें देखने के लिए सिनेमाघरों तक खिंचे चले आते थे। उनकी तुलना हॉलीवुड की पिन-अप गर्ल्स रीटा हेवर्थ से होती थी, वहीं मौत के 50 साल बाद आज भी उन्हें मलयाली सिनेमा की मर्लिन मुनरो कहा जाता है।
चकाचौंध और चाहनेवालों की भीड़ से घिरी रहने वालीं विजयाश्री महज 13 साल की उम्र में हीरोइन बनी थीं। चंद सालों में ही उनकी जोड़ी उस दौर के सुपरस्टार प्रेम नजीर से बनी, जिसने लोगों के जहन में गहरी छाप छोड़ी। 60-70 के दशक के हर मलयाली सिनेमा से जुड़े आला मुकाम फिल्ममेकर ने माना कि विजयाश्री जैसी खूबसूरती उन्होंने कहीं नहीं देखी, लेकिन फिर एक दिन यही खूबसूरती उनकी बर्बादी का कारण बनी।
1973 की फिल्म पोन्नापूरम कोट्टा की शूटिंग के दौरान विजयाश्री के साथ वारड्रॉब मालफंक्शन हुआ था। जब फिल्ममेकर्स ने उन्हें धोखे में रखते हुए उनका आपत्तिजनक सीन फिल्म में डाला तो विजयाश्री ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकीं। महज 21 साल की उम्र में अपने करियर के शिखर पर चल रही विजयाश्री ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली। उनकी मौत के 50 साल बाद भी मलयाली सिनेमा में उनकी जगह कोई एक्ट्रेस नहीं ले सकी।
8 जनवरी 1953, विजयाश्री का जन्म तिरुवनंतपुरम के पूजापुरा गांव में हुआ था। दो भाइयों में सबसे बड़ीं वियजश्री बचपन से ही बेहद खूबसूरत थीं। इसी खूबसूरती की बदौलत उन्हें महज 13 साल की उम्र में साल 1966 की तमिल फिल्म चिट्ठी में एक छोटा सा रोल दिया गया था। पहली ही फिल्म में विजयाश्री को जेमिनी गणेशन और पद्मिनी जैसे आला मुकाम कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला था। फिल्म जबरदस्त हिट रही और मामूली रोल में नजर आईं विजयाश्री ने कम स्क्रीनटाइम में भी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। इसकी बदौलत उन्हें तमिल, तेलुगु और कन्नड़ भाषाओं की आधा दर्जन फिल्में मिलने लगीं।
पहली फिल्म की बदौलत ही उन्हें मलयाली सिनेमा की फिल्म पूजापुष्पम में कास्ट किया गया था। थिक्कुऋषि सुकुमारन नायर के निर्देशन में बनी ये फिल्म साल 1969 में रिलीज हुई थी। फिल्म में उन्हें साइड रोल दिया गया था, जबकि लीड रोल में स्टार प्रेम नजीर और शीला थे।
विजयाश्री की 70 के दशक में रिलीज हुईं लंका दहनम (1971), टैक्सी कार (1972), अरोमालुन्नी (1972), पोस्टमैन कन्नानीला (1972), अंगाथात्तू (1973) जैसी फिल्में लगातार हिट होती चली गईं जिनसे उन्हें साउथ इंडस्ट्री में काफी पॉपुलैरिटी मिली। इनमें से ज्यादातर फिल्में विजयाश्री ने सुपरस्टार प्रेम नजीर के साथ दी थीं। आज भी प्रेम नजीर और विजयाश्री की जोड़ी मलयाली सिनेमा की सबसे आइकॉनिक जोड़ी कही जाती है।
मलयाली फोटोग्राफर ने विजयाश्री और प्रेम नजीर की जोड़ी पर कहा था, इन दोनों की जोड़ी मलयाली सिनेमा की सबसे कामयाब पेयरिंग थी। मुझे याद है कि इनकी साथ में की हुई कोई भी फिल्म फ्लॉप नहीं हुई।डायरेक्टर भारतन ने अपने एसोसिएट जयराज से विजयाश्री की खूबसूरती पर कहा था, मैं जिनसे भी मिला हूं विजयाश्री उन सबसे ज्यादा खूबसूरत महिला है।
वहीं फिल्ममेकर जयराज ने कहा था, वो मलयाली सिनेमा की मर्लिन मुनरो है। किसी भी महिला के उतने चाहनेवाले नहीं हैं, जितने विजयाश्री के हैं। कम समय में ही उन्होंने इतनी हिट दी, जितनी किसी दूसरी एक्ट्रेस के पास नहीं हैं। किसी भी एक्ट्रेस ने मलयाली सिनेमा में इतनी जल्दी इम्पैक्ट नहीं डाला था। लोग सिर्फ उन्हें देखने के लिए थिएटर्स तक आते थे।
एक्टर कादुवाकुलम एंटोनी ने विजयाश्री की खूबसूरती पर कहा था, अगर जयन मेल एक्टर्स में सबसे ज्यादा सुंदर थे, तो आज तक मलयाली सिनेमा में ऐसी कोई एक्ट्रेस नहीं रही, जिसकी खूबसूरती की तुलना विजयाश्री से की जा सके। उनकी खूबसूरती भगवान की कला थी।
भले ही चाहनेवालों के लिए विजयाश्री मलयाली सिनेमा में खूबसूरती की मिसाल थीं, लेकिन एक हिस्सा ऐसा भी था, जो उनकी बोल्डनेस का फैन था। विजयाश्री को मलयाली सिनेमा में सेक्स सिंबल और आइटम गर्ल के रूप में भी देखा जाता था। हालांकि वो अपनी इस इमेज से नाखुश थीं। यही वजह रही कि उन्होंने 70 के दशक में अपनी इमेज बदलने के लिए जीवीक्कान मारान्नुपोया स्त्री, यौवनम, अद्याथे कथा जैसी फिल्में साइन की थी।
विजयाश्री साल 1973 में रिलीज हुई फिल्म पोन्नापोरम कोट्टा में प्रेम नजीर के साथ नजर आई थीं। इस फिल्म के एक गाने विल्लियोर कावेरे में विजयाश्री को झरने में नहाते हुए दिखाया गया था। गाने की शूटिंग के दौरान विजयाश्री ने पारदर्शी सफेद कपड़ा लेपेटा हुआ था।
जैसे ही सीन शूट होना शुरू हुआ वैसे ही पानी के तेज बहाव से उनका लपेटा हुआ कपड़ा खिसक गया और उनके साथ वारड्रोब मालफंक्शन हो गया। सेट पर पूरी यूनिट के सामने विजयाश्री शर्मिंदा हो गईं, लेकिन उन्होंने कपड़ा संभालते हुए शूटिंग करना जारी रखा। कैमरामैन ने निर्लज्जता का परिचय देते हुए कैमरा बंद नहीं किया और उनके साथ हुई इस घटना को रील में कैद कर लिया। इस हादसे के बाद विजयाश्री काफी सहम गई थीं। वो पहले ही अपनी बोल्ड इमेज से पीछा छुड़ाने की जद्दोजहद कर रही थीं, फिर पूरी यूनिट के सामने कपड़े उतरने से वो परेशान रहने लगी थीं।
जब विजयाश्री अपनी पूरी यूनिट के साथ स्क्रीनिंग में पहुंचीं तो मंजर शर्मनाक कर देने वाला था। फिल्म के मेकर्स ने ऑडियंस को लुभाने के लिए विजयाश्री के कपड़े उतरने वाला सीन फिल्म में रख दिया था। विजयाश्री अपने सीन देखकर दंग रह गईं क्योंकि उन्हें यकीन था कि कैमरामैन ने वो क्लिप शूटिंग के दौरान ही डिलीट कर दी होगी। विजयाश्री को इस बात से ठेस पहुंची थीं कि उनकी इजाजत के बिना उनका न्यूड सीन फिल्म में रखा गया।
फिल्म रिलीज होने के बाद विजयाश्री ने फिल्म के मेकर्स से विनती की कि वो उस एक सीन को फिल्म से हटा दें, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। उस एक सीन की बदौलत फिल्म को देखने भीड़ उमड़ने लगी और बॉक्स ऑफिस में जबरदस्त कमाई हुई।
फिल्म पोन्नापोरम कोट्टा रिलीज के ठीक एक साल बाद 17 मार्च 1974 को विजयाश्री ने आत्महत्या कर ली। महज 21 साल की उम्र में सुसाइड कर विजयाश्री सुर्खियों में आ गई थीं। उस दौर में उनके पास कई बड़ी फिल्में थीं। उनकी डेडबॉडी के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, न ही उनकी मौत का कोई पुख्ता कारण नजर आया। हालांकि मलयाली न्यूज वेबसाइड मलयाली समयन डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार फिल्म पोन्नापोरम कोट्टा का कैमरामैन विजयाश्री को उनके आपत्तिजनक सीन के जरिए ब्लैकमेल कर रहा था।
फिल्म इतिहासकारों का मानना है कि विजयाश्री ने फिल्म पोन्नाकोरम कोट्टा के आपत्तिजनक सीन से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी।
विजयाश्री की मौत के बाद उनकी दोस्त श्रीलता नंबूथरी ने एक इंटरव्यू में एक शख्स का जिक्र किया था, जिससे वो रिलेशनशिप में थीं। उन्होंने बताया था कि वो अक्सर उस शख्स के साथ समय बिताती थीं। विजयाश्री उस शख्स से शादी भी करना चाहती थीं। मद्रास में हुई एक फिल्म की शूटिंग के दौरान वो शख्स विजयाश्री से मिलने भी आया था, उस समय श्रीलता ने भी उनसे मुलाकात की थी। हालांकि उनके पास उस शख्स की कोई पुख्ता जानकारी नहीं थी।
विजयाश्री को मर्लिन मुनरो का दर्जा देने वाले जयराज ने साल 2011 में फिल्म नायिका बनाई थी। इस फिल्म की कहानी हुबहू विजयाश्री की कहानी से मिलती थी, हालांकि क्लाइमैक्स को असल कहानी से अलग बनाया गया था। फिल्म की एक्ट्रेस शारदा थीं, जो काफी हद तक विजयाश्री की तरह दिखती थीं। वहीं फिल्म के लीड एक्टर जयराम को प्रेम नजीर की तरह दिखाया गया था।
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