शमशान घाट के ही पास में ग्रामीणों के घर भी मौजूद है। ऐसे में बाघ का वहां पर डेरा जमाए रखना खतरे से खाली नहीं है। शुक्रवार की सुबह भी बाघ झाड़ियां से निकलकर सड़क पर आ गया। बाघ को देखकर मौजूद ग्रामीण मौके से भाग गए। ग्रामीणों द्वारा लगातार वन विभाग से सपहा गांव के किनारे मौजूद बाघ को पकड़ने के लिए मांग की जा रही है।
माधोटांडा थाना क्षेत्र के सपहा गांव के किनारे स्थित शमशान घाट की झाड़ियों में बाघ डेरा जमाए हुए है। क्षेत्र के कई गांवों के ग्रामीण प्रतिदिन सपहा गांव के किनारे से ही गुजरते हैं। विद्यार्थियों के अलावा किसान भी बड़ी संख्या में श्मशान घाट के सामने से ही होकर जाते हैं। बाघ दिन में कई बार झाड़ियों से निकलकर सड़क पर आ जाता है।
आसपास पशु भी खेतों में विचरण रहते हैं। शमशान घाट के ही पास में ग्रामीणों के घर भी मौजूद है। ऐसे में बाघ का वहां पर डेरा जमाए रखना खतरे से खाली नहीं है। शुक्रवार की सुबह भी बाघ झाड़ियां से निकलकर सड़क पर आ गया। बाघ को देखकर मौजूद ग्रामीण मौके से भाग गए।
ग्रामीणों द्वारा लगातार वन विभाग से सपहा गांव के किनारे मौजूद बाघ को पकड़ने के लिए मांग की जा रही है। लेकिन वन विभाग की टीम सिर्फ निगरानी करने का ही दावा कर रही है। जबकि निगरानी के लिए भी सिर्फ एक वाचर की ही ड्यूटी लगाई गई है।
गांव निवासी वीरपाल का कहना है कि वन विभाग द्वारा कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है, जिससे यहां से बाघ को खदेड़ा या फिर रेस्क्यू किया जा सके। अगर ऐसे ही बाघ उसी स्थान पर मौजूद रहा तो किसी भी समय मानव वन्यजीव संघर्ष हो सकता है।